बेतिया पुलिस ने 33 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया, बाल श्रमिकों को उत्तर प्रदेश मजदूरी के लिए ले जा रहा ठिकेदार गिरफ्तार
ठिकेदारों पुलिस से पुलिस कर रही पूछ्ताछ, फिलहाल कुछ विशेष सामने नहीं आया
बेतिया : बेतिया पुलिस अंतर्गत श्रीनगर थाना की पुलिस ने गुप्त सूचना पर मनुवापुल थाना क्षेत्र के नौरंगिया से बस पर सवार 33 बाल श्रमिकों को छापामारी कर मुक्त कराया है। थानाध्यक्ष संजीव कुमार ने बताया कि सूचना मिली थाना क्षेत्र के पूजहा हनुमान मंदिर के पास थोड़ी देर पहले कुछ बाल श्रमिकों को ठिकेदारों ने बाल मजदूरों को एकत्र कर बस से उत्तरप्रदेश कि तरफ ले जा रहा है। जिसकी भनक लगते ही तुरंत पुलिस टीम गठित कर मनुआपुल पुलिस की सहयोग से मनुआपुल थाना क्षेत्र के नौरंगिया में पहुंच कर वाहन कि जांच प्रारम्भ किया। कुछ समय बाद जांच के क्रम में बस पर सवार 33 बाल श्रमिकों को बरामद कर लिया गया। उसके बाद बाल श्रमिकों को जिला बाल संरक्षण टीम को सौप दी गयी। घटना स्थल से 2 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछ ताछ कर रही है। बरामद बाल श्रमिक बैरिया, योगापट्टी, नवलपुर, भैरोगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले बताये गए है । मिली जानकारी के अनुसार बाल श्रमिकों को ठिकेदारों ने रुपए का लालच देकर सुदूर दूसरे राज्यों में मजदूरी करवाने के लिए ले जाया जाता है। आठ घंटे की जगह उनसे 16 घंटे परिश्रम कर कर उनके भविष्य का शोषण किया जाता है। इतनी परिश्रम करवाने के बाद भी उन्हें संतोष जनक मजदूरी भी नही दी जाती है। उसके बाद यह भी मामला सामने आती है कि ठिकेदार बाल श्रमिकों से चिमनी व ईट भट्टों पर मजदूरी करवा कर मजदूरी का पैसा लेकर रफू चक्कर हो गया। शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर बाल श्रमिक हताश एवं निराश हो जाते है। उसके बाद इसकी शिकायत व फरियाद लेकर विभिन्न जगहों का चक्कर लगाते हैं। फिर उनका क्या ऐसे मुख बधिर लोगों का कोई सुनने वाला भी नही होता है। विशेष कर गरीबों की मार से कमजोर परिवार के अभिभावक अपने बच्चों को ठिकेदार के द्वारा दिए गए पैसे की लालच में फंसकर बच्चों को सौंप देते हैं। अभिभावक अपनी परिवार कि अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बाल अवस्था में हद उन्हे मजदूरी के लिए ठिकेदारों के साथ अन्य प्रदेशों में भेजते है। जिसका गलत लाभ संवेदक उठाते है। ठिकेदारों को कम रुपए में मजदूर मिल जाते है। उन नाबालिकों से मजदूरी कराकर उनका शारीरिक एवं मानसिक रूप से शोषण होता है। जिससे बाल श्रमिक शिक्षा मिलने की तो दूर की बात उनका शारीरिक व बौद्धिक विकास भी नही हो पाता है।
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