सुनील कुमार ठाकुर
बेतिया। आरामदायक जीवनशैली व खान-पान की अनियमितता के चलते 40 प्लस की उम्र वाली पांच प्रतिशत आबादी घुटनों के दर्द व कई प्रकार के चर्म रोगों का शिकार बन गई है। अंग्रेजी की एस्टरॉयड व पेन किलर दवाओं का अधिक मात्रा में या नियमित सेवन रोगियों की इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को खराब कर रही है। इस कारण शरीर मे असहनीय दर्द, सूजन, गैस की समस्या आम बात हो गई है। ये बातें ऑर्गनाइजेशन फॉर होमियो मिशन बेतिया के जिलाध्यक्ष डॉ. घनश्याम ने कही।
नगर के नया बाजार स्थित सविता होमियो क्लीनिक एंड रिसर्च सेंटर का संचालन करते हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण बाजारों, चौक-चौराहों पर ऐसे ढेरो वैद्य, क्वैक पसरे हैं जो उजली, काली गोलियां या चूरन देकर दर्द छुड़ाने का दावा करते हैं। अशिक्षित मरीज के परिजन इनके चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं। इन दवाओं में एस्टरॉयड, पेनकिलर का प्रयोग होता है। इनके सेवन से तत्कालीन राहत तो मिल जाती है। लेकिन आगे चलकर मरीजों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। मोटापे, सूजन, आंतों में अल्सर की स्थायी समस्या हो जाती है। लिवर, किडनी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि जटिल रोगों में होमियोपैथ वरदान की तरह है। यह सुरक्षित व सस्ता भी है। इसकी नई विधि में दवा के मूल सिद्धांत का पालन करते हुए सहायक के तौर पर पेटेंट व बायोकेमिक दवाएं देकर राहत के साथ रोग के जड़ से इलाज किया जा सकता है। दर्द कई प्रकार के होते हैं, गठिया, साइटिका के कारण, पुरानी चोट के कारण, खून में यूरिक एसिड व प्यूरिन की मात्रा बढ़ने से आदि-आदि। इसी तरह चर्म रोग भी कई होते हैं, एलर्जिक खुजली, सूखा-गीला एक्जिमा, सोरायसिस, मुंहासे, सिहुआ आदि। होमियोपैथ में रोगी की अवस्था के आधार पर सटीक दवा का चुनाव किया जाता है।
वे बताते हैं कि फैटी लिवर, सफेद दाग, पथरी, एलर्जी, बाल तोड़ घाव, पुरानी चोट से उभरी समस्या या अपंगता की स्थिति होमियोपैथ जबर्दस्त राहत देता है। बशर्ते मरीज किसी भी डिग्रीधारी और अनुभवी चिक्तिस की शरण में जाएं। साथ ही मरीजों को इलाज के दौरान घबड़ाना नहीं चाहिए। चिकित्सक पर विश्वास करते हुए सकारात्मक रहते हुए लगातार संपर्क में रहा जाए तो निश्चित तौर पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।