हम जानते है। कि ज्ञान की वृद्वि से जीवन को सुखदायी बनाने के लिए मानव निरंतर प्रयास करते है। नया नया चीजे बनाने की उसकी योग्यता ने जीवन के ढ़ाल ही बदल दिया गया है। प्राकृतिक स्त्रोतो का प्रयोग कर उसने सामान्य जन को भी सुविधाय दी है। मेहनत से मुक्त कर कार्यो को सरल बना दिया है। इससे जीवन का स्तर तो ऊचा उठा है। किन्तु मानुष्य के विचार भावनाओ बोल कर्म व्यवहार के स्तर में गिरावट आयी है।
मानव और अधिक भौतिकवादी हो गया है। वह हर बात में आर्थिक लाभ देखने लगा है। इसलिए कहा गया है। कि विज्ञान ने हमारे जीवन में मछली की तरह जैसे सागर में तैरना सिखाया है। और पक्षी जैसे हम आसमान में उड़ना सिखाया है। किन्तु जमीन पर कैसे चलना है। जैसे कि धरती पर जीवन जीने के लिए प्रम दया सम्मान क्षमा आदि की आवश्यकता है।