वर्तमान परिवेश में साझी विरासत खतरे में दिख रही है : सुभाष झा (पत्रकार)
बेतिया : पश्चिम जिला मुख्यालय बेतिया स्थित एक निजी होटल में शनिवार को पुरवइया बिहार के तत्वाधान में सेमिनार -सह-कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कई साहित्यकार -बुद्धिजीवियों ने भाग लिया तथा अपने विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ संजय यादव ने कहा की राही मासूम राजा पूरी तरह से देशभक्ति से ओत-प्रोत रहे। वे साझी विरासत के जीता जागता स्वरूप रहे। वरीय पत्रकार सुभाष झा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में साझी विरासत खतरे में है। बोलिए कम और काम ज्यादा करें, जबकि मुख्य अतिथि डॉ खालिद आजमी ने कहा कि 01 सितंबर 1927 को राही मासूम राजा का जन्म हुआ। जिन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाजीपुर में प्राप्त किया। उनका नीम का पेड़ सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा। वे भारतीय सभ्यता के पुरोहित रहे। उन्होंने सात किताबें लिखी, कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन -सह- मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमें चंदन झा ने क्या आज भी चाची की चटनी बनती है क्या? आज भी बच्चे लोरी सुन सुनकर सोते हैं, जबकि खुशबू मिश्रा ने कहा आंगन के तुलसी को सबल बनकर चलने दो। कवि अनिल अनल ने कहा कि समाधान गुत्थियों में गुम पड़ा है। बगहा से पहुंची कवयित्री सीमा स्वधा ने कहा कि साझी विरासत हम भारतीयों की पहचान है। जाकिर हुसैन जाकिर ने कहा कि खून जब टपकेगा चट्टानों पर, डॉ जफर इमाम जफर ने कहा कि जीते जीते मर जाएंगे, जीते जीते मर जाए तो क्या करें। फिर से जी उठे बता दे मौला। मैं ही मुजरिम हूं मुझे सजा दे मौला। मंच संचालन डॉ नसीम अहमद ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ख्यातिलब्ध कवि व लेखक डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन भी किया। उन्होंने अपनी कविता से उपस्थित जन समूह को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर उपस्थित कई गणमान्य प्रबुद्ध जनों ने काव्य पाठ की प्रशंसा किया। कार्यक्रम के आयोजन करने में मुख्य भूमिका डॉ दानिश की रही।
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