
गीतों के राजकुमार कविवर गोपाल सिंह नेपाली की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि
बेतिया। ……. मेरी दुल्हन सी रात को लाख सितारों ने लूटा, बदनाम रहे बाटमार, घर तो रखवालों ने लूटा.…… जैसी कविता के रचयिता गीतों के राजकुमार से ख्यातिलब्ध अमर साहित्यकार गोपाल सिंह नेपाली की जयंती (जन्म दिवस) पर सागर पोखरा के समीप कविवर गोपाल सिंह नेपाली चौक पर स्थित उनकी आदम कद प्रतिमा की सफाई कर शहर के साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों ने पुष्प अर्पित कर माल्यार्पण किया। उल्लेखनीय है कि गोपाल सिंह नेपाली का जन्म तत्कालीन चम्पारण के अनुमंडलीय शहर बेतिया में हुआ। इन्होंने अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से हिन्दी साहित्य जगत में एक अलग पहचान बनाया ही साहित्य के क्षेत्र में स्वयं को स्थापित भी किया। चम्पारण का साहित्यिक समाज इतना समृद्ध है और चम्पारण के साहित्यकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं, तो ऐसे में एक बड़ी भूमिका गीतों के राजकुमार कविवर गोपाल सिंह नेपाली की मानी जाती है। इस अवसर पर एम.जे. के. काॅलेज के हिन्दी के प्रोफेसर डॉ.राजेश कुमार चंदेल ने बताया कि गोपाल सिंह नेपाली ने चम्पारण के साहित्यिक परम्परा को राष्ट्रीय स्तर पर एक नयी पहचान दी। अपने गीतों के माध्यम से समाज और राष्ट्र को जगाने का काम किया। इस अवसर पर शहर के वरीय साहित्यकार डॉ.परमेश्वर भक्त, सुरेश गुप्त, दिवाकर राय, आभाष झा, अरूण गोपाल, ललन लहरी, चंद्रिका राम, डॉ.सुरेन्द्र राम,ललन प्रसाद, पाण्डेय धर्मेन्द्र,ज्योति प्रकाश के अतिरिक्त साहित्यानुरागियों की उपस्थिति देखी गई।
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