कइयों को मृत्यु का भय नही होता परन्तु वे संसार के दुःख नही सहन करना चाहते इसलिए कठिन परिस्थितियों में आत्महत्या कर लेते है। और कई कहते है। कि बिना बीमारी तकलीफ के हम देहत्याग कर दें। दुख दर्द के भय से छूटन के लिए ज्ञान सागर परमात्मा शिव ने आकर हमें कर्मो की गुहा्र गति भी समझाई है, जिस अनुसार जैसा करोगे वैसा पाओगे आज नही तो कल पाओगे इससे नही बच पाओगे। गलती होने पर भगवान हमें माफ कर सकता है। कोई व्यक्ति हमे माफ कर सकता है। हम खुद भी खुद को माफ कर सकते परंतु गलती हमे कभी नही माफ करती पच्श्रामाप भी सजा कम नही कर सकता। गलती या पाप की सजा मिलके ही रहती हैं। जब पाप कर्म करने से नही डरे तो उसका फल भुगतने से भी नही डरना चाहिएं इस सत्या को स्वीकार करना ही हैं कि हमारे कर्मो का फल हमे सहर्ष स्वीकारना है। दुख दर्द से भी डरना नही हैं। बल्कि दुख दर्द का सामना करते हुए पुण्य करते हुए अपना भविष्य सुरक्षित अर्थात दुःख रहित बनाने का कर्तव्य करते रहने मे तत्पर रहना है।