
‘सबके लिए आवास’ योजना की बुधवार की शिविर में महापौर ने उठाया नगर निगम कार्यालय की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह, वर्ष 2018-19 एवं उसके बाद भी स्वीकृत कुल 574 शहरी परिवारों में से 139 को अब तक नहीं मिला आवास योजना राशि
महापौर पूर्व योजनाओं की समीक्षा नहीं कर पा रही है और नगर आयुक्त की कार्यशैली संदेहास्पद
बेतिया: बेतिया नगर निगम की कार्यशैली पर महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने स्वयं प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। सरकार और विभाग की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल “सबके लिए आवास ” योजना में नगर निगम की कार्य प्रणाली पर संदेह के घेरे में है। मेयर ने बताया कि विगत सभापति वाले कार्यकाल में पूर्ववर्ती नगर परिषद में सरकारी टीम ने घर घर जाकर करीब हजारों आवेदक में से 905 परिवारों का चयन “सबके लिए आवास योजना” का लाभ दिलाने का कार्य किया। वर्ष 2018-19 एवं उसके बाद में भी संपन्न विहित प्रक्रिया अंतगत उनकी सूची विभाग को अंतिम स्वीकृति के लिए पटना भेजी गई। जिनमें से 574 शहरी गरीब परिवारों के दावा और अनुशंसा को सही पाकर इनको लाभ मुहैया कराने की स्वीकृति वर्षो पहले ही मिल गई। बावजूद इसके उन में 139 चयनित परिवारों को सरकारी कार्यादेश के बावजूद उन 139 गरीब परिवारों को योजना का लाभ उपलब्ध कराने में हमारा नगर निगम कार्यालय विफल रहा है। महापौर ने बताया कि बुधवार को संपन्न इन चयनित परिवारों के अभिलेखों के जांच शिविर में शामिल कर्मचारियों द्वारा चयनित कुछ आवेदकों की संचिका में इनके भू स्वामित्व का कंप्यूटराइज एलपीसी और पारिवारिक बंटवारा का मान्य कागजात सही से उपलब्ध नहीं होने से इनको लाभ मुहैया कराने में समस्या की बात बताई गयी, जबकि वार्ड -2 की शांति देवी और भोला यादव, वार्ड 5 की सोना देवी, वार्ड- 12 कृष्ण मोहन मिश्र, वार्ड 15 की रेखा देवी, वार्ड 31 की पासपति देवी दर्जनों लोगों से बातचीत से पता चला कि उन्हें यह सब जानकारी अब तक नहीं दी गई, जबकि उनकी के साथ कार्यादेश पाए चार सौ से भी ज्यादा परिवारों को दूसरा से लेकर तीसरा किश्त तक मिल गया है।
“भ्रष्टाचार की शिकायत पर अब तक नहीं हो पाई है ढंग से जांच”
गरिमा देवी सिकारिया ने पीड़ित नगर वासियों की बात से व्यथित होकर कहा कि एक सामान्य गृहणी को रिकार्ड मतों से महापौर बनाने वाले अपने मतदाताओं की तरह स्वयं भी लाचार पा रही हैं, क्योंकि नगर निगम ऐसी समस्याओं में कम रूचि ले रहा है। शिकायत पर कार्रवाई और सही से जांच लंबित है। महापौर ने बताया कि ऐसी स्थिति के बीच देरी होने से सबके लिए आवास योजना मद का दो करोड़ से ज्यादा का आवंटन वापस ले लिया गया है। इसी मद में प्राप्त करोड़ों के अन्य आवंटन के भी लेप्स हो जाने की बात बताई जा रही है। उपर्युक्त सभी मामलो का खुलासा ऐसे वक्त में किया जा रहा है, जहाँ महापौर पूर्व योजनाओं की समीक्षा नहीं कर पा रही है और नगर आयुक्त की कार्यशैली संदेहास्पद है।

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