Sun. Mar 23rd, 2025

अनमोल कुमार की रपट…..

सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सिमराही बाजार के तत्वधान में विश्व शांति, सदभावना एवं भाईचारा विषय पर गुरुवार को ओम शांति केंद्र के सभागार में भव्य स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया। उपर्युक्त सार्वजनिक कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक पिता श्रीब्रह्मा बाबा के 55 वीं पुण्य तिथि पर उनके वैश्विक शांति, अमन और एकता के लिए किये त्याग, तप और सेवाओं की स्मृति में आयोजित किया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सिमराही सेवा केंद्र प्रभारी बीके बबीता, डॉ वीरेंद्र प्रसाद साह, समाजसेवी प्रो बैजनाथ प्रसाद भगत, समाजसेवी परमेश्वरी सिंह यादव, समाजसेवी विजय चौधरी, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व जिलाध्यक्ष अनील कुमार महतो, सौरभ कुमार, अरुण जायसवाल, बीके सुरेंद्र, ब्रह्माकुमारी वीणा, विनीता देवी, मंजू देबी, रागिनी देवी, ब्रह्माकुमार किशोर ने संगठित रुप में फूलमाला से श्रद्धा सुमन अर्पित व दीपप्रजज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सेवा केन्द्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता ने उदबोधन में कहा कि ब्रह्मा बाबा पिता का दैहिक जन्म हैदराबाद सिंध में एक साधारण परिवार में हुआ। उनका शारीरिक नाम दादा लेखराज रहा। उनके लौकिक पिता निकट के गांव में एक स्कूल के मुख्य प्रध्यापक रहे। दादा लेखराज अपनी विशेष बौद्धिक प्रतिभा, व्यापारिक कुशलता, व्यवसायिक शिष्टता, अथक परिश्रम, श्रेष्ठ स्वभाव एवं जवाहरात की अचूक परख के बल पर सफल प्रसिद्ध जवाहरी बने। उनकी मुख्य विशेषता व्यापार के पक्के बने रहे। विपुल धन, संपत्ति औऱ मान प्रतिष्ठा प्राप्त कर भी उनके स्वभाव में नम्रता, मधुरता औऱ परोपकार की भावना बनी रहीं। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में, किसी भी प्रलोभन के बस अपनी भक्ति,भावना और धार्मिक नियमों को नहीं छोड़ा। वे प्रभावशाली व्यक्तित्व और मधुर स्वभाव, राजकुलोचित व्यवहार, शिष्ठ मधुर स्वभाव और उज्जवल चरित्र के कारण उनकी उच्च प्रतिष्ठा रही। दादा लेखराज स्वभाव से ही उदारचित्त और दानी रहे। मुख्य अतिथि समाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व मुखिया प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद भगत ने कहा कि लोग शरीर पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन इस शरीर को चलाने वाली आत्मा को बलिष्ठ और विकसित करने पर ध्यान नहीं देते। आत्मा को शक्तिशाली करने का उपाय राजयोग, ध्यान का अभ्यास ही है। उन्होंने कहा कि लोगों को शांति अति आवश्यक है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सभी केंद्र शांति के स्तंभ है, जहां राजयोंग से परमात्मा के याद से शांति प्राप्त की जा सकती है।उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर ने किया। इस अवसर पर सुर्य नारायण, बीके इंद्रदेव, बीके सौरभ कुमार, समाजिक कार्यकर्ता बैधनाथ प्रसाद भगत, अरुण जयसवाल, डॉ शशि भूषण चौधरी, अनील महतो, दीपक, सत्यनारायण, कृष्णा, वीरेंद्र, नारायण, मधु देवी, ब्रह्माकुमार किशोर, बबीता, वीणा, शिव माता व सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

अन्त में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बिना बहन जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन करते अपने उदबोधन देते हुए कहा सभी दुखों एवं समस्याओं का मूल देह अभिमान हैं।देह अभिमान के कारण ही काम, क्रोध, लोभ ,मोह ,अहंकार,ईर्ष्या, नफ़रत, आलस्य इत्यादि मनोविकार वश हो गया है। अतः इन पर विजय पाना जरूरी है। इसके लिए नित्य दिन राजयोग का अभ्यास करना जरूरी है। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि मन ,बुद्धि से परमात्मा को याद करना, उनके गुणों को गुणगान करना, अपने आचरण को श्रेष्ठ बनाना ,कर्मयोगी बनना ही राजयोग है। अंत में सभी को ब्रह्मा भोजन एवं प्रसाद वितरण करके कार्यक्रम संपन्न किया।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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