कई बार हम अपनं कार्य में सफलता के सिखर सिद्ध करते जा रहे होते हैं लेकिन अंदर असुरक्षित भी अनुभव कर रहे होते हैं। उस भय के वस अशुभ विचार आने लगते हैं लेकिन हिम्मत रख और आगें बढ़ते रहिए। साथ साथ स्वयं को देखते भी जाइए कि विधि और साधन सही हों सर्वहितकारी हो तथा सर्व साथियों को साथ लेकर चले उनकी संतुष्टता और प्रसन्नता का भी ध्यान रखें।
हम सभी जानते हैं कि कलयुग के अंतिम चरण पर हम पहुंच गए हैं। अभी जीवन पहले जैसा स्थिर और सहज नही चलेगा। कोई ना मानव सर्जित या प्रकृति परिस्थितिया तो आती ही हैं।