Thu. Mar 28th, 2024

कुछ लोग है। जो मानते ही नही कि भगवान है और कुछ लोग मानने के साथ खोज में निकल पडता है। दरअसल जब भी हम परमात्मा को खोजने जाएंगे वो दूर होता जाएगा क्योकि वो निकट है। और खोजने का मामला दूर जाने का है। यही से ईश्वर और भक्तो का हिसाब किताब गडबड हो जता है। परमात्मा को अपने पास पाने का सबसे अच्छ तरीका होता है हम चले और भगवान को डूडे परंन्तु ईश्वर को हम ईधर उधर खोजते है। परन्तु उसका कोई मतलब नही हो क्योकि ईश्वर हमारे ह्रदय में वास रहता है ईधर उधर खोजने का कोंई मतलब नही होता है। मन वचन और कर्म से विकारो को त्यागकर आपके चरणो में ही प्रेम  करे विकार यानी दुर्गुण गलत बाते तीनो मे एकसाथ त्याग होगी न मन में हेगा न वचन में बोलने मे आए और न कर्म सें करने में आए अगर इनमें से एक भी गड़बड़ हुआ तो आप परमात्मा से दूर  है। हमारें भीतर का सर्वश्रेष्ठ इन हमारे समानता होने पर प्रकट हो जाता है।

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