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प्रशासनिक सुधार आयोग 2 की रिपोर्ट में दो तरह के भ्रष्टाचार बताए गए कोएर्सिव ( कानून का भव दिखाकर ) और कोल्युसिव (समझौते से) आयोग के अनुसार भारत जैसे विकासशील देशों में दूसरा किस्म के भ्रष्टाचार जड़े जमा चुका है। आयोग की सलाह थी कि इसे खत्म करने के लिए सख्त कानून बने जिसमें खुद को निर्दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी आरोपी पर हो और जांच के लिए पूर्ण रुप सें स्वायत्त संस्थाए बनें। इस किसम के भ्रष्टाचार में घटिया सामान लगाने पर इंजीनियर ठेकेदार के बीच एक सहमति होती है। और पैसे की बंरबांद होेता है।

कुछ साल बाद पैसे के बूते पर सिस्टम को दबाने का जबरदस्त ताकत इन दोनो में आ चुका होता है। पुल का ठेका जिसे दिया गया क्या वह ऐसे काम के लिए पारंगत था 140 साल पुराना पुल के मरम्मत कैसे हुआ प्रमाण पत्र की स्थिति क्या था टिकट भार क्षमता सें ज्यादा क्यों बेचे गए लेकिन हम सभी जानते है कि देश में दर्जनों ऐसी घटनाओ में सैकडो लोगों के मरने के बाद केवल कुछ छोटे कर्मचारियों को निंलबित किया जाता है। समिति आयोग का गठन होता है। मुकदमा चलता है। और अंत में एक भी व्याक्ति को सजा नही होता है। क्योकि हमारा सिस्टम ही कोल्युसिव किस्म के भ्रष्टाचार का पोषक होता है। जरुरत है। समाज की सामूहिक व्याक्तिगत चेतना बदलनें के लिए एक नैतिक क्रांति की है।

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