बिना पूछे तो दिल के धड़कन भी नही बताती है। कि किसके लिए धड़क रहा है। ऐसे ही अपनी आत्मा से पूछना पड़ता है। कि हमारे जीवन में जो सुख दुख आए है। इनके जिम्मेदार कौन है। हम अपने शरीर से तो काफी मामलो में पूछताछ करते है। लेकिन अपनी आत्मा सें बहुत कम लोग बात करते है। आत्मा से बात करने का अर्थ होता है। खुद से पूछें कि हमारे सुख और दुख का जिम्मेदार कौन है। कुछ लोग कहते है। भाग्य है।
कुछ लोग कहते है। भगवान ने ऐसा कर दिया। कुछ हालात को दोषी बताते है। ईश्वर भाग्य और प्रकृति या हालात बहुत निष्पक्ष होते है। इन तीनो का इससे कोई लेना देना नही है। कि जीवन में सुख आ रहा है। या दुख। यह तो निष्पक्ष इनका कहना है। हम हमारे हिसाब से व्यवस्था करते चलते है। सुख और दुख तो हमारा क्रिएशन है। हम तय करते है। कि इस स्थिति में हम दुखी हो जाएंगे दूसरा स्थिति मे हम सुखी हो जाएंगें आत्मा से बात करने का कई रुप है। भजन र्कीतन पूजन योग इन सबमें आप आत्मा सें चर्चा कर लेंगे आपके आत्मा एक बात बहुत से समझा देगी कि अपनी अशांति या शांति का करण तुम खुद हो।