दीपावली मनाने के बाद प्रथम रविवार को बाबा मोहंदीपाट में मेला लगेगा। इस साल 30 अक्टूबर रविवार को मेला मंडई होगी। ग्राम देवता के नाम से ही नामकरण हुआ मोहंदीपाट पड़ा है। प्राचीन नामकरण में शिवनाथ नदी के एक ओर 18 गढ़ और दूसरी ओर 18 गढ़ कुल 36 गढ़ में एक मेंहदीगढ़ आज मोहंदीपाट कहलाता है। पूर्व सरपंच मुकेश साहू ने बताया कि प्राचीनकाल में देवस्थल मंदिर के आसपास जंगली क्षेत्र था। मंदिर नीम पेड़ के नीचे स्थपित है, कहा जाता है कि आज भी बाबा मोहंदीपाट रात में सफेद घोड़े पर चारों ओर भ्रमण कर रक्षा करते है। परंपरा के अनुसार दीपावली के बाद प्रथम रविवार को बाबा मोहंदीपाट में मंडई होती है। नीम व सेमर के छांव में बाबा के साथ अन्य देव विराजित है। सरपंच सुशीला देवांगन व अर्चना मोहंदीपाट समिति अध्यक्ष नरसिंह देवांगन ने बताया कि मोंहदीपाठ, खुरसुनी, बघेली, खुरसुल सहित क्षेत्र के आसपास के यादव अपने- अपने गांव से पारंपरिक वेषभूषा में ध्वजा लेकर मंदिर की परिक्रमा करते है। 30 अक्टूबर को रात में 9 बजे छत्तीसगढ़ी जीवन ज्योति नाच पार्टी जीराटोला की प्रस्तुति होेगी।