हर साल दशहरा के दिन जब पूरे देशभर में रावण का पुतला फूंका जाता है, तो ब्लॉक मुख्यालय गुरूर से 3 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम तार्री में भगवान श्रीराम के साथ रावण की भी पूजा की जाती है। गांव के बड़े बुजुर्गों द्वारा बनाई गई यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसे ग्रामीण आज भी निर्वहन करते आ रहे हैं। यहां ग्राम पंचायत के पास लगभग 20 फीट ऊंची सीमेंट से बना रावण की भी मूर्ति है, इसी मूर्ति को प्रतिवर्ष ग्रामीण पूजते आ रहे हैं।
गांव के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि लगभग 65 वर्ष पूर्व गांव के ही मूर्तिकार स्व. रामदयाल चक्रधारी ने इस मूर्ति को बनाया गया था। जिसके बाद इस मूर्ति को ग्रामीणों के सहयोग से स्थापित किया गया, तब से आज तक यहां हर साल रावण की भी पूजा की जाती है। वही गांव में धार्मिक माहौल को देखते हुए केवट समाज ने श्रीराम जानकी मंदिर का भी निर्माण कराया है, जिसके कारण यहां दशहरा पर्व पर विशेष रूप से पूजा की जाती है। ग्राम तार्री-बालोद धमतरी मुख्य मार्ग में स्थित है, एक ही गांव में भगवान श्रीराम जानकी का मंदिर एवं विद्वान रावण की मूर्ति को देखकर मुख्य मार्ग से आने-जाने वाले राहगीरों अन्य ग्रामीणों के लिए यह स्थान कौतूहल का विषय बना रहता है।