Wed. Dec 4th, 2024

मन जो तू चाहे सुखविधान,
तो सुन ये बातें खोल कान,
सब छोड़ भोग ऐव्श्रर्य मान,
भज रामकृष्ण करुणानिधान।।
दो दिन की है सारी माया,
मानो सुखमय झूठी छाया,
तू शीघ्र विमुख हो जा इससे,
विषरुप वासना विषय जान।।
जग में न कहीं कुछ भी तेरा,
अब छोड़ अंह मम का घेरा,
सेवा मे अर्पित हो जीवन,
सबको निज आत्मस्वरुप मान।।
अपना ले सुखकर मार्ग श्रेय,
नित स्मारण रहे निज परम ध्येय,
चिन्तन कर प्रभुलीला विदेह,
सत्संगति है अमृत समान।।

Spread the love

Leave a Reply