Fri. Apr 19th, 2024

सोई है, अन्तरात्मा, उसको जगाइये।
बेटी बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
आती है जन्म लेने को ये दिव्य आत्मा।
भ्रूणों के रुप में ही कर देते है खात्मा।।
एक दिव्य ज्योति को न तुम ऐसे बुझाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
अज्ञानता ही तो सभी दुखों का मूल है।
अनपढ़ रहे बेटी, हमारी भूल है।।
दो दो कुलों की लाज को शिक्षित बनाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
भोली बहुत हैं, शांति से रहती है बेटियाँ।
टपनों से भेदभाव भी सहती हैं बेटियाँ।।
मन बु़ि़द्ध और संस्कार सब निर्मल बनाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
बेटो के वास्ते तुमने क्या क्या नही किया?
फूलों से बेटियाँ को ही हक उनका नहीं दिया।।
बेटी पराया धन इसे गौरव दिलाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
भारत है मातृ-भूमि और परचम हैं बेटियाँ।
बेटों से किस बात में कमरत हैं बेटियाँ?
अपनी मनोवृत्ति को कुछ बेहतर बनाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।।
साहस और त्याग में हैं सदा वीर बेटियाँ।
सत्य, प्रेम, न्याय की तस्वीर हैं बेटियाँ।।
इस शक्ति के अवतार को मस्तक झुकाइये।
बेटी बचाइये, सभी बेटी पढ़ाइये।। रोशन लाल साहू

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