Sat. Jul 27th, 2024

वैश्विक अर्थव्यवस्था व व्यवस्था तेजी से परिवर्तन रुस -यूक्रेन संघर्ष के बाद हुए है। इ क्रम मे जहाँ रुस और चीन स्पष्टतः अमेरिका के एकध्रुवीय प्रभुत्व को चुनौती दे रहे है वही भारत गट निरपेक्षता की नीति को अपनाते हुए रुस, चीन और अमेरिका से सामजस्य स्थापित किये हुए है। अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो ने अपनी नई रणनीतिक अवधारणा मे दोनो देशो को दुश्मन के रुप मे चित्रित किया है। हालाकि, वर्तमान विश्व व्यवस्था मे ,केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के पास ही अपने नियम बनाने और लागू करने की क्षमता है। इन दाक महाशक्तियो की तुलना मे अन्य देश केवल उदारवादी या सामान्य शक्ति है। इस वैश्विक संक्रमणकारी वास्तविकता पर विचार करते हुए ,कुछ अंतराष्टीªय विश्रेषको का कहना है । कि विश्व व्यवस्था संक्रमण मे है। विश्रेषका की मानो तो, सयुक्त राज्य अमेरिका का एक पक्षीय प्रभुत्व को चीन चुनौती दे रहा हैं, जबकि भारत अपनी गुटनिरपेक्षता पर मजबूती से डटा हुआ है। भारत शांतिप्रियता को पहले से अपनाते हुए, अंतर्राष्ट्री स्तर पर पहले से अत्यधिक सशक्ता हुआ हैं।इन दिनांे विश्व के देश बहुधु्रवीय शक्तियो की नजर गड़ाये हुए हैं। वर्तमान परिवेश मे बदलते वैश्विक बाजार, अर्थव्यवस्था के दृष्टिगत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन को महाशक्ति की स्थिति मे देख रहे हैं। रुस -युक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका सैन्य गंठबंधन नाटो और रूस के सहयोगी चीन के बीच भयंकर आर्थिक प्रतिस्पर्घा प्रांरभ हैं। ऐसे मे अमेरिका और रूस चीन का दो घु्रवीय समीकरण बनता जा रहा हैं। भारत की गुटनिरपेक्ष नीति हा्रस्वमेव मृगेन्द्रताह्र जैसी हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था और परिदृश्य मे भारत जैसी मघ्य शाक्ति विश्व व्यवस्था को किस प्रकार संतुलित कर सकती हैं, जिससे विश्व का पर्यावरण और राजनीतिक सामंजस्य सबसे अनुकूल हो।ऐसे समय मे जब यूके्रन के बहाने अमेरिका और रूस के बीच बढ़ रहे हैं। असंतोष से वैश्विक खतरा पर संकट के बादल छए हुए हैं। विश्व मे भारत एक मात्र ऐसा राष्ट्र हैं।जिसने दोनो पक्षो को संतुलित करने का प्रयास किया हंै। भारत ने अपनी सामरिक स्वायतता को बनाए रखते हुए अमेरिकी दबाव को नजर अंदाज करते हुए रूस की निंदा करने से इनकार कर दिया है।भारत ने स्पष्ट का दिया है कि वह गुटनिरपेक्ष की नीति को बरकरार रखेगा । अन्तर्राष्टीª घु्रवीय गुटबंदी के विपरीत भारत ने रूस से सस्ता तेल (क्रुड आँयल) और कोयला खरीदकर यह संदेश दिया हैं कि उसके लिए राष्ट्रीवहित सर्वोपारि है।
भारत ने कहा है कि वह पश्चिम देशांे के प्रतिबंध के बावजूद रूस के साथ आर्थिक सहयोग जारी रखेगा। पश्चिम के अमेरिका सामर्थित देशो ने भारत के रूख का उपहास उड़ाया हैं, अलबत्ता भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसका समर्थन किया है। भारत के प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुनित से बातचीत किया है ,क्योंकि नाटो ने विगत वर्ष रूस के खतरा पैदा करने वाला एक दस्तावेज जारी किया । इसलिए, रूस यूरोपीय देशो को गैस की आपूर्ति कर रिकाँर्ड आय अर्जित करना छोड़कर रियायती मूल्य पर ऊर्जा प्रदान करके भारत और चीन को अपना व्यवसायिक सहयोगी बना लिया है। भारत के प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना कीसी हिचकिचाहट के क्वाड, ब्रिक्स और जी 7 बैठको के भाग लिया और भारत की रणनीतिक स्वायतता का घ्वज लहराया है। अमेरिका के नेतृत्व वाले अमीर क्लब जी 7 ब्रिक्स, जो मघ्य पूर्व और वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करता हैं। दोनो मे समान रूस से सक्रिया है।भारत स्वम को अमेरिका और चीन के धु्रव के रूप मे स्थापित करने को प्रयासरत है।भारत को ब्रिक्स से बाहार निकालने के लिए मनापे के प्रयास मे, पश्चिमा देश रूस और चीन के बीच बढ़ते ताल मेल की आंशका व्यक्त कर रहे है। जिससे भारत फंस सकता है। लेकिन भारत के पूर्व राजदूत एम के भद्रकुमार के अनुसार, भारत चीन के साथ रस के बढ़ते संबंधो और एसिया प्रशांत क्षेत्र मे इसकी बढ़ती आर्थिक उपस्थिति से लाभ उठाने का एक अच्छा अवसर के रूप मे देखता है।हालाकि पश्चिमी देश रूस के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधो से खुश नही है।लेकिन वे जानते हैं कि भारत को बहुत ज्यादा परेशान नही किया जा सकता है। इसलिए क्वाड के संयुक्त बयान मे रूस की निंदा नही की गई, लेकिन भारत ने अतिथि की भुमिका मे रहते हुए जी 7 बैठक मे स्पष्ट किया कि वह कूटनीति और बातचीत के माध्यम से युद्ध को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।भारत ने युद्ध जारी रखने के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जाँनसन के खून के प्यासे आग्रहा के बावजूद एक तर्कसंगत और व्यावहारिक नीति अपनया है। उन्होने यह कहते है हुए कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत का कोई औचित्य नही। अतिथिके रूप मे जी 7मे भाग लेकर भारत ने पश्चिमी देशो के साथ घष्ठि आर्थिक संबंध बनाने की अपनी इच्छा का भी संकेत दिया है।दूसरी ओर चीन के साथ चल रहे सामरिक-राजनीतिक सघंर्ष के बावजूद ब्रिक्स का अघोषित नेता भारत आर्थिक व्यापार को और उंच्चाई देकर भू-राजनीतिक समझ दिखा रहा है। भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को चुनौती देने के लिए जी 7की ग्लोबल इफ्रास्ट्रकर एंड इनवेस्टमंेट प्रोलजेक्ट के लिए 7.600 बिलियन पार्टनरशिप को अपनाने से भी इनकार कर दिया ।
टाइम्स आँफ इंडियाह के सचिन पाराशर के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत मे खाध सुरक्षा मे तीन करोड़ निवेश की घोषणा की है। लेकिन भारत ने इस परियोजना का समर्थन नही किया, बीआरआई पर संदेह जताते हुए, भारत ने उसमे शामिल होने से इनंकार दिया है और जी 7 परियोजना को स्वीकार भी नही किया, इस प्रकार चीन के साथ संतुलित कूटनीति बपनाया है। इस बात की पुष्टि करने के लिए एक और विकाश हुआ है कि भारत चीन से संबंध सुधारने के लिए काम कर रहा है। विगत वर्ष राँयटर्स की प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट मे बताया गया है कि भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक अल्ट्राटेक सीमेंट चीनी युआन का भुगतान कस रूसी कोयले का आयात कर रहा है सुदर्शन वर्धन, आफताब अहमद और नुपुर आंनद की तैयार रिपोर्ट के अनुसार भारतीय व्यापारियो के इस तरहा के लेनदेन के लिए चीनी मुद्रा का उपयोग करने का चलन भविष्य मे और अधिक सामान्य हो जाएगा । इस तथ्य को ध्यान मे रखते हुए कि डाँलर वैश्विक मान्यता के कारण अमेरिका के प्रभुत्व बना हुआ हैं, रूस इस और चीन गैर डाँलर व्यापार पर जोर दे रहे हैं। उपर्युक्त घटना यह प्रदरसि है कि भारत को अघोषित समर्थन मिल रहा है। ऐसा लगता है कि चीन ने भारत के इस समझदार और सेतुलित कदम को सकारात्मक तरीके से लिया है।परिणामस्वरूप् यह कि चीन ने दो वर्ष पूर्व ब्रिक्स सम्मेलन के इतर ब्रिकस प्लस मे पाकिस्तान को शामिल नही किया।

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