छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी मानी जाने वाली यहां एक बडी नदी यानी महानदी गर्मी के शुरूआत मे ही उद्वम से कुछ किमी दूर तक पूरी तरह सूखी हुई है। भास्कर टीम सिहावा पर्वत श्रेणी मे स्थित श्रंगी श्रषि के आश्रम मे स्थित उदगम कुंड़ तक पहुंचा, जिसमे काफी कम पानी है। यहा से गणेश घाट के पास जहां महानदी अचानक प्रकट होती है, वह भी सूख चूका है। करीब 60 किमी दूर धमतरी के कोलियारी मे भी महानदी की पाट लगभग एक किमी चैडी है. लेकिन पानी संकरे नाले की तरह ही बह रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि महानदी के सूखे से प्रदेश के बडे हिस्से मे पाने के पानी और निस्तारी के लिए ही बांधो से पानी छोडने की स्थिति बन सकती है।
उद्वम की मान्यताः कहा जाता है। कि अनेक ऋषि कुंभ स्नान से लौटने के बाद श्रृंगी ऋषि के कंमडल मे गंगा जल डालकर चले गए थे। उस समय तपस्या मे लीन थे। तपस्या से प्रसन्ना होकर गंगा माँ कंमडल गिर गया। गंगा क्रोधित होकर चल पडी और पहाड को छेदकर तीव्र वेग के साथ पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होने लगी। तब तक गंगा मैया 16 किमी दूर ग्राम फरसिया पहुच चुकी थी। महर्षि श्रृगी ने गंगा मैया से प्रार्थना कर वापस आने की पुकार लगाई और वह पश्चिम से होते हुए उत्तर पूर्व दिशा मे प्रवाहित हो गई