न्यायालयीन कर्मचारी संघ से पदाधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक हर कोर्ट में हर दिन करीब 40 से 45 प्रकरण सुनवाई के लिए लगते हैं। इनमें से 10 से 15 प्रकरण स्वेच्छा से तारीख लेकर आगे बढ़ा ली जाती है। वहीं लगभग 30 प्रकरणों में सुनवाई होती है। इस तरह 44 कोर्ट में करीब 1200 प्रकरणों की हर दिन सुनवाई होती है, लेकिन न्यायालयीन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण इन प्रकरणों में नई तारीख देकर काम चलाया जा रहा है। यही स्थिति 13 राजस्व न्यायालयों का है। राजस्व न्यायालयों में हर दिन करीब 300 मामले सुनवाई के लिए होती है। इनमें करीब 100 में स्वेच्छा से तारीख ले ली जाती है। जबकि 200 में सुनवाई होती है। यहां भी नई तारीख देकर काम चलाया जा रहा है। इधर चौथे दिन में आंदोलनरत कर्मचारी हिन्दी भवन के सामने धरने पर बैठे रहे। इस दौरान कर्मियों ने सभा भी की। सभा को कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया। धरना समाप्ति के पहले कर्मचारियों ने मशाल रैली निकाली। रैली पटेल चौक से वापस लौटकर धरना स्थल पर समाप्त हुई। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।