जैसे की साँप की खाल पुरानी हो जाती हैं त बवह ऐसे चलता है। जैसे बूढा हो गया हैं। साँप अपनी पुरानी खाल छोड नया लेते है। और यह कई बार होता हैं। परंतु जैसे ही पुरानी खाल उतरती है, तो वह एकदम फुर्तीला व जवान सा बन जाता है। इसी प्रकार जब मनुष्य बूढ़ा हो जाता है। पुराना शरीर छोड नया शरीर में प्रवेश करती है। और चीटिया मिलकर काम करती हैं और एक चीटी अपने वनज से कई गुणा ज्यादा भार उठा सकती है। यह लगता तो बड़ा अजीब है, परंतु सही है। तब तो मनुष्य क्या नही कर सकता? मनुष्य बडे से बडे दुख के पहाड को हल्का बनाकर पहाड़ को राई बनाकर आगे बढ़ सकता है। मधुमक्खिीयो से हम सीख सकते है। कि अगर कोई हमारी मेहनत को चुरा लेता है। तो हमे निराश होकर हमे काम बंद नही करना चाहिए। हमे सोचना चाहिए कि कोई हमारे मेहनत चुरा सकता है। लेकिन हमारे कला कभी चोरी नही कर सकता।