कुछ लोग कहते है कि उनका अवगुण ही इतना बड़ा हैं कि उनको देखते या उनके लिए सोचते ही उनका अवगुणी रुप सामने आ जाता है। इसके लिए भी परमात्मा ने हमें बहुत सुंदर विधि बताई हैं कि किसी से भी बात करते हुए उनके बडे रुप को न देखते हुए भ्रकुटि में चमकने वाली आत्मा रुपी मणि को देखो और फिर उनके व्यवहार में आओ। ऐसा करने से बिंदु रुपी आत्मा के सातो गुण (ज्ञान प्रेम पवित्रता सुख शांति आनंद और शक्ति) इमर्ज रुप में देखते हुए उनसे बात करते हुए सकारात्मक और प्रेरणादाई शब्दो का चयन आसानी से कर सकते है। ऐसा करने से हम भविष्य में उस आत्मा के साथ व्यर्थ हिसाब किताब का खाता बनाने से बच जायेंगे। किसी भी आत्मा के प्रति कुछ भी बोलते हुए पहले स्वयं को आत्मा समझें और दूसरो को भी आत्मा समझकर उनके लिए शब्द बोले। यह शिव भगवानुवाच हैं कि स्वयं आत्मिक स्थिति में स्थित होकर दूसरे का भी आत्मा समझकर बोले गए शब्दो में ताकत होती है।