कहा जाता है। स्वच्छता देवत्व के समान है। इसलिए ही जीवन में स्वच्छता को प्रमुख स्थान दिया गया है। लेकिन आच्श्रर्य इा बात का है। कि शरीर कपडे, घर परिसर, पानी आहार आदि को हम स्वच्छ रखना चाहते है। परन्तु मन की सफाई जो अन्य सर्व प्रकार की स्वच्छता की नीव है। उसके बारे में कमी सोचते ही नही है। याद रहे, इस दुनिया का सब से ताकतवर अस्त्र है। साफ दिल या स्वच्छ मन जिसमें केवल आत्माओ का ही नही बल्कि भगवान का भी दिल जीतने की ताकत है। दुआ, जो इस दुनिया की सब से ताकतवर खुराक है। उसको लेने या देने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है साफ मन। हर पल सफलता दिलाने वाला असंभव को संभव बनाने वाला साधन है। शुभसंल्प और उसको उत्पन्न करने का एकमात्र यंत्र है। साफ मन। अब बताइए मन की सफाई के बारे में गंभीर होकर सोचना चाहिए या नही? जब शरीर बार बार बीमार पड़ता है तो कहते है, शरीर में विषैले तत्व जमा हो गऐ है। उनको बाहर निकालने के लिए कुछ दिन उपवास करो भी कहा जाता हैं। उपवास सबसे श्रेष्ठ दवा हैं। वैसे ही मन की मलिनता को त्यागने के लिए भी उपवास के जरुरत है परन्तु यह उपवास है आवाज का जिसको मौन कहते है।