डकैती की योजना बनाने के आरोप में पटना पुलिस ने गिरफ्तार नौ वर्ष पूर्व किया गिरफ्तार
APNI BAT
पटना। पटना पुलिस की कारगुजारी ने राकेश नेपाली को 9 वर्ष तक बिना जुर्म के बेऊर जेल में बंद रहा। पुलिस ने डकैती की योजना बनाने के झूठे केस में उसे डाल दिया। जिसकी सजा से काट रहे राकेश नेपाली को वकीलों की जबरदस्त पैरवी कर गुरुवार को बेऊर से रिहा करा दिया। सिविल कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ ने राकेश नेपाली पर लगाए गये सभी आरोप से मुक्त कर दिया है। बेऊर जेल से बाहर निकलने पर राकेश ने बताया कि वर्ष 2013 में वह नेपाल से दिल्ली कमाने जाने के क्रम में पटना जंक्शन पर उतरा, वहीं पर एक होटल में काम मिल गया। वह जीपीओ के पास काम करने लगा। बकौल राकेश एक दिन कुछ लोग लड़ाई कर रहे थे। उसी समय कोतवाली थाना की जिप्सी आई और उसे गिरफ्तार करके चली गई। वह कहता रह गया कि बेगुनाह है, फिर भी पुलिस ने एक नहीं सुनी। राकेश सहित चार अन्य लोगों पर डकैती की योजना बनाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई और राकेश के पास एक कट्टा और चाकू होने का धारा भी जोड़ा गया। उसका कोई जमानदार नहीं मिलने और संगीन धारा लगे रहने के कारण बेल नहीं मिल पाया। पटना के वकील संतोष कुमार की मानवीय पहल पर सिविल कोर्ट में अपील की गई। इसके बाद सिविल कोर्ट ने राकेश नेपाली पर लगाए आरोप को पुलिस साबित नहीं कर सकी, उसके बाद न्यायाधीश ने उसे दोषमुक्त कर दिया है।
राकेश को पता भी नहीं कि उसके पिता जिन्दा हैं भी कि नहीं राकेश ने नौ साल बाद खुले आसमान में राहत और आजादी की सांस ली है। अंदर से डर था कि वह घर जाकर क्या बोलेगा। राकेश को पता भी नहीं है कि उसके पिता और भाई-बहन कैसे हैं? पिता ने बड़े अरमानों के साथ कमाने के लिए घर से विदा किया, लेकिन उसे कहां पता कि वह जेल की सलाखों के पीछे चला जाएगा। राकेश बताते हैं कि वह नेपाल का रहने वाला है। उसके पिता लक्ष्मण शर्मा नेपाल में खेती करते हैं, माता का देहांत काफी पहले ही हो चुका है। वह दो भाई और दो बहन है। पिछले नौ सालों से वह सिर्फ आस लगाए बैठा रहा कि कोई उसकी मदद करने आएगा और वह फिर से अपने परिवार के पास जा पाएगा।