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सदा प्रसन्न रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति व परिस्थिति को स्वीकार करें : बीके पूनम 

बेतिया: कोई हमारा परिचय पूछे तो हम अपना नाम, पद बताते हैं। वास्तविकता यह है कि लेकिन इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति ऊर्जा, शरीर तो हड्डी मांस का पुतला है। भौतिक परिचय शरीर के साथ खत्म हो जाता है, किन्तु प्रत्येक जन्म में नये रिश्ते नया नाम व पद हो जाता है, शरीर के लिए व्यक्ति मेरी – मेरा कहते हैं, मेरी हाथ, मेरे पैर, क्योंकि मैं हाथ, पैर नही,  मैं तो अजर, अमर, अविनाशी आत्मा हूं।आत्मा का रुप अति सूक्ष्म सफेद बिंदी है, लेकिन उसका तेज हीरा से भी तीव्र है, ब्रेन में पिट्यूटरी ग्रंथि वह हाइपोथैलेमस ग्रंथि के बीच में आत्मा निवास करती है। उपर्युक्त विचार इंदौर से पधारी प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, प्रभू उपवन भवन, संत घाट बेतिया स्थित महाराजा स्टेडियम में आयोजित ‘अलविदा तनाव’ निशुल्क शिविर के तीसरे दिन दिवासत्र में ‘आत्म ज्ञान उत्सव’ के अंतर्गत व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि आत्मा के शरीर से निकल जाने को मृत्यु कहा जाता है, लेकिन स्वयं को आत्मा महसूस करने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। उन्होंने कई बार अभ्यास करने के लिए स्पिरिचुअल इंजेक्शन (मंत्र )दिया कि- ‘मैं एक शक्तिशाली आत्मा, प्रकाश पुंज, शक्तिपुंज हूं। मेरे लिए कोई भी बात असंभव नहीं है तथा आत्म स्वरुप का कंमेट्री वह वीडियो के दृश्यों के माध्यम से मेडिटेशन द्वारा गहन अनुभूति भी कराया। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक घंटे में 1 मिनट मस्तक सिंहासन पर चमकती हुई ज्योति बिंदु आत्मा देखेंगे तो (1) मन के व्यर्थ संकल्प बंद हो जाएंगे (2) ऐसा प्रतीत होगा कि मानसिक तनाव को जैसे किसी ने खींच लिया हो (3) आत्मा महसूस करने से हीलिंग पावर आती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। जिसे कई प्रकार की शारीरिक बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं (4) एकाग्रता बढ़ जाती है, जिससे हमारी ग्रहण शक्ति बढ़ जाती है व सभी कार्य भी जल्दी होने लगते हैं। उन्होंने मनोबल बढ़ाने के लिए जीवन से न हार जीने वाले गीत…. पर सभी से नृत्य (डांस) करवाया। ब्रह्माकुमारी पूनम ने प्रसन्न रहने का एक सुंदर फार्मूला ‘स्वीकार करना’ है। उन्होंने इसका विस्तार करते हुए बताया कि (1) जो भी हो रहा है उसे स्वीकार कर ले (2) जो बीत गया उसे भी प्रसन्नतापूर्वक से स्वीकार कर ले, जो हुआ अच्छा हुआ, जो चल रहा है वह भी अच्छा और जो होगा वह बहुत बहुत अच्छा होगा। ऐसा सोचने में इतनी शक्ति है कि प्रत्येक घटना अच्छे में परिवर्तन हो जाएगी (3) आपके साथ व आसपास के लोग जैसे भी हैं उन्हें उसी रुप में स्वीकार कर ले, क्योंकि इस विश्व रंगमंच पर प्रत्येक एक्टर का संस्कार स्वभाव या पार्ट अलग-अलग है। उसे देखकर आनंद लेना है, वह अपना एक्यूरेट पार्ट बजा रहे है, यदि कोई हमारे साथ गलत भी कर रहा है तो उसे पूर्व कर्मों का हिसाब किताब समझ कर उसे दुआएं दें तो उसके प्रभाव से नेगेटिव का प्रभाव क्षीण हो जाएगा। मस्तक सिंहासन पर बैठ संकल्प करो कि मैं शक्तिशाली आत्मा हूं, मन की मालिक हूं तो मन मित्र बन जाता है व जैसा उसे आदेश देते हैं वैसा ही वह सोचता है अंत में उन्होंने मेडिटेशन कमेंट्री द्वारा सर्व को आत्म स्वरूप की शक्तिशाली अनुभूति कराया।
 सोमवार को शिविर में “आनंद उत्सव” मनाया जाएगा। आत्मा का अपने परमपिता से मंगल मिलन होगा, बड़ी संख्या में शहर वासी इस शिविर का लाभ लेकर स्वयं को तनाव मुक्त बना रहे हैं। शिविर के अंत में पिंजरापौल गौशाला के सचिव सुरेश सिंघानिया गौशाला से जुड़ी सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने शॉल ओढाकर के ब्रह्म कुमारी बहनों, दीदी को सम्मानित किया।
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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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