पं. रविशंकर शुल्क विश्वविद्यालय के जैविकी विभाग के पूर्व अध्यक्ष ड़ा. एके गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में सूक्ष्मजीव का अध्ययन और अधिक महत्वपूर्ण हो गया हैं। इसकी वजह से इस विषय के इतिहास को समझकर मर्तमान में विकसित कर एकीकृत अनुसंधान करने की जरुरत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोविड19 वायरस हैं एक छोटे से वायरस ने पूरे विश्व को बता दिया कि मानव की शक्ति सीमित है।
उसे सूक्ष्मजीव नियंत्रित और प्रतिबंधित कर सकते है। उन्होने यह बाते साइंस काँलेज के माइक्रो बायोलाँजी विभाग में विभिागीय परिषद माइक्रोपिया के उदघाटन के अवसर पर कहीं। उन्होने कहा कि धरती में पाए जाने वाले सभी जीव जंन्तुओ का लगभग 55 फीसदी हिस्सा और क्रियाकलाप को सूक्ष्मजीव के विषय को समाज से जोडने और सामुदायिक विकास की प्रक्रिया को आगे लाना होगा। इससे पहले विभागाध्यक्ष ड़ाँ प्रज्ञा कुलकर्णी नें विभागीय प्रतिवेदन रखा।