Tue. Nov 28th, 2023

बच्चो का मन एक कोरे कागज के तरह होते है। जिस पर उसके माता पिता जैसे चाहे वैसे चित्र बना सकते है। ऐसे अनेक चित्र मिल कर चरित्र का निर्माण होते है। माता पिता के वार्ता आपसी संबंध खान पान स्तर जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण आदि से शिशु के कोमल मन पर मनुष्य ऐसे पगडंडी बन जाते है। जैसे वह चल क रवह भावी जीवन का आचार विचार और व्यवहार कर्म आदि निर्धारित करते है। जन्म दर जन्म गिरावट में आकर आज मनुष्यो का व्यक्तित्व व चरित्र कलुषित हो गया है। ऐसे में वें अपने बच्चो को कैसी पालना देगी यह समझा सकते है। गंदे ब्रश से दीवारो पर सफेदी नही किया जाते सब्जी वाले कड़छी से खीर नही परोसी जाती है।

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