Thu. Jan 23rd, 2025

कर्म हम कई बार कर्म का तुरन्त फल चाहते है।जो हम कर्म करे उसका फल  हमे तुरंत मिलना  कि जो किया उसका फल मिलना चाहिए। जब हम देखते है। कि उस मनुष्य के साथ हमारा अच्छा व्यवहार किया लेकिन नतीजा यह हुआ कि आज वह हमसे दुश्मनी करता है, मैने उसे व्यवसाय में सहयोग दिया और आज ज बवह अच्छा व्यापारी बन गया तो वह मेरी ही जडे काटने का कोशिश करता है। उस समय हमें उसके प्रति घृणा क्रोध बदले के भावना आ जाता है।

कर्म तो हम अच्छा कर रहे थें हमने उसको सहयोग दिया था, हमने उसको सहयोग दिया था, हमने मित्रता का भाव रखा था भ्रातृत्व को अपनाया था लेकिन जब उस व्यक्ति का व्यवहार हमने दूसरे देखा तो फिर हमारे दृष्टि वृत्ति स्मृति स्थिति सब बदल जाता है। तो हम वह भूल जाते है। कि कर्म का फल अवश्य निकलेगा। कई लोग समझते है। कि अभी अभी इसका फल निकल आये लेकिन किसी किसी का कर्म का फल निकलने मे समय लगता है।

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