आरबीआई की मौद्रिक हर रोज नीति समिति के एक सदस्य ने चेतावनी दिया है। कि इसके अनुसार देश के आर्थिक विकाश काफी कमजोर दुर्बल रहेगा और युवाओं के रोजगार मांग पूरा करना असंभव होगा। आईआईएम अहतदाबाद के प्रोफेसर सदस्य का मानना है। कि महंगाई रोकने के लिए ब्याज दर बढ़ाने के फैसला से निवेश और उपभोक्ता व्यय कम होगा यानी मौद्रिक नियंत्रण के चलते मांग मे कमी होगा जिससे आर्थिक गतिविधि में ठहराव आएगा। जैसे कि भारत में काफी बडा युवा जनसंख्या है।
जिन्हे रोजगार के सख्त जरुरत हैं। और एमएसएमई सेक्टर बुरी स्थिति में है। यह इकलौता सेक्टर सबसे ज्यादा 10 से 12 करोड़ रोजगार देता है। दूसरा ओर लागत के मुकाबले खर्च ज्यादा होने से खेती से आय में कमी आए है। अब इस सेक्टर का संकट उन्हें वापस गांव लौटने को मजबूर कर चुका है। सरकार ने इस साल मनरेगा के बजट लगभग 80 हजार करोड़ से घटाकर 50 हजार करोड कर दिया गया है। जिसका सीधा असर होगा मजदूरो के विपत्रता सरकार को इस सलाह पर गौर करना होगा अन्यथा स्थिति बिगड़ सकते है।