प्रकृति नें हमें कितना प्रेम से हमे सब सुविधाएँ दी है। ताकि हम खुशहाल रहे और प्रकृति की रेशमी गोद में अपनी थकान मिटा लें। कितने खूबसूरत फूल पत्ते पौष्टिक शाक सब्जियाँ हमारे लिए उसने उपहार में दिए। क्या हमने अपने जीवन में इस सौंदर्य को निहारने के लिए समय छोड़ा है।
क्या कभी कभी इसे और सँवारनें का प्रयास किया है। अरे संवारना तों दूर कभी इसे कम से कम ज्यों का त्यों रखने का भी प्रयास किया है। उल्टा इसका शोषण कर इसे खोखला करने में हमने कोई कसर नही छोड़ा है।