बांसी। राप्ती व बूढ़ी राप्ती नदियों के बीच बसे 50 से अधिक गांवों के लोगों को जलभराव से निजात नहीं मिल रही है। दोनों नदियों के अपने दायरे में पहुंचने के बाद ही गांवों से पानी निकल पाएगा। ऐसे में क्षेत्र के किसानों की डूबी फसल के बचने की उम्मीद क्षीण है। राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ जाने तथा बूढ़ी राप्ती नदी के बांध असोगवा नगवा में कटान हो जाने से चंवर ताल के आसपास व फजिहतवा नाले के दोनों तरफ के गांव जलमग्न हो गए हैं। रास्ते पर जलभराव से लोग घर से नहीं निकल पा रहे है तथा हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। इससे किसानों व मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।

हालत यह है कि 10 दिन से चंवर ताल व फजिहतवा नाले के दोनों तरफ के सिर्फ जल ही जल दिख रहा है। नदियों का जलस्तर बढ़ते ही बांध में लगे रेगुलेटर बंद कर दिए जाते हैं, जो नदी के दायरे में पहुंचने के बाद ही खुलते हैं। राप्ती नदी खतरे के निशान से बहुत ऊपर पहुंचने के बाद अब धीमी गति से घट रही है। नदी के के सामान्य स्तर तक पहुंचने में समय लगेगा।
कुछ ऐसा ही हाल बूढ़ी राप्ती नदी का है। दोनो नदियों के सामान्य जलस्तर पर पहुंचने के बाद ही रेगुलेटर के फाटक खुलेंगे और दोनो नदियों के बीच के भूभाग में फैला बाढ़ का पानी रेगुलेटर के रास्ते नदी में चला जाएगा। क्षेत्रीय किसान राम प्रसाद लोधी गनवरिया, अमरेंद्र लोधी, सर्वजीत, रामदास, हीरालाल, अजीत, दिलीप, मोहनलाल, मोबीन, शाह आलम, शिव कुमार ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि फसल तैयार थी सिर्फ कटाई होनी थी, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया। अब उनके सामने बेकारी, बेबसी व बीमारी के सिवाय कुछ नहीं बचा है। यही नहीं, पशुओं के लिए चारे का संकट हो गया है। पीड़ा झेल रहे गांव के लोग जलमग्न गांवों में शामिल सोनखर, बभनी, करही, गनवरिया, कदमहवा, गूल्हरिया राजा, बकुआव, दंतरंगवा, भंवारी, भुजराई, हाटा, पकरडीहा, फूलपुर, कूरियवा, मुडिला राजा, तड़वल घाट, पिपरहवा उर्फ सूपा बख्शी, सूपा राजा, सूपा घाट, तारा गुजरौलिया, जनियाजोत, हयातनगर, बंजरही, कम्हरिया खुर्द, कम्हरिया बुजुर्ग, भड़ही उर्फ मिश्रोलिया, मरचा, तिघरा, तीवर, नवतला ताल, बिहरा आदि के लोगों को पीड़ा झेलनी पड़ रही है।