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अभी तक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे सौरव गांगुली को हटाने के पीछे काफी विवाद भी हो चुका है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गांगुली पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा था, जब उन्होंने मना कर दिया तो अमित शाह के कहने पर गांगुली को BCCI अध्यक्ष पद से हटाया जा रहा है। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

पूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI के नए अध्यक्ष बन गए हैं। बोर्ड की सालाना बैठक में मंगलवार को बिन्नी के नाम पर मुहर लग गई। इस बैठक में BCCI के सचिव जय शाह, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, कोषाध्यक्ष अरुण सिंह धूमल के साथ-साथ सौरव गांगुली और रोजर बिन्नी भी मौजूद रहे। बिन्नी सौरव गांगुली की जगह लेंगे।  अभी तक BCCI अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे सौरव गांगुली को हटाने के पीछे काफी विवाद भी हो चुका है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गांगुली पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा था, जब उन्होंने मना कर दिया तो अमित शाह के कहने पर गांगुली को BCCI अध्यक्ष पद से हटाया जा रहा है। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी की तरफ से दिए गए आधिकारिक बयान में कहा गया था कि BCCI एक स्वतंत्र संस्थान है, जिसके सदस्य और पदाधिकारी अपना फैसला खुद लेते हैं। इसमें सरकार का कहीं से कोई दखल नहीं होता है। 

पहले जानिए रोजर बिन्नी कौन हैं, जिन्हें BCCI का नया अध्यक्ष बनाया गया है? 
रोजर बिन्नी का जन्म बेंगलुरु में 19 जुलाई 1955 को हुआ था। 67 साल के बिन्नी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर हैं। बिन्नी भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने वाले पहले एंग्लो-इंडियन खिलाड़ी थे। उनके पूर्वज स्कॉटलैंड से आकर भारत में बसे थे। उन्होंने अपने खेल से काफी नाम कमाया। 1977 में कर्नाटक टीम के लिए बिन्नी ने केरल के खिलाफ 211 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद उनका नाम डोमेस्टिक क्रिकेट में चलने लगा। बिन्नी ने 1979 में पाकिस्तान के खिलाफ राष्ट्रीय टीम के लिए डेब्यू किया था। भारतीय टीम के लिए बिन्नी ने 27 टेस्ट और 72 वन-डे मैच खेले हैं। बिन्नी ने आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच नौ अक्टूबर 1987 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। बिन्नी 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 18 विकेट लिए थे।    बेहद ईमानदार छवि खेल प्रशासक के तौर पर रोजर बिन्नी की छवि बेहद साफ रही है। 2012 में रोजर बिन्नी BCCI के चयनकर्ता थे। तब उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी भी भारतीय टीम का दरवाजा खटखटा रहे थे। BCCI से जुड़े लोग बताते हैं कि उस दौर में जब भी चयन समिति की बैठक में स्टुअर्ट बिन्नी के नाम पर विचार होता था तो रोजर बैठक से उठकर बाहर चले जाते थे। 2014 में उनके बेटे स्टुअर्ट ने इंटरनेशनल डेब्यू किया था। स्टुअर्ट बिन्नी ने भारत के लिए 6 टेस्ट, 14 वनडे और 3 टी-20 मैच खेले। क्या वाकई रोजर बिन्नी के चयन में कुछ सियासत है या नहीं? BCCI का नाता शुरुआत से ही राजनीति से रहा है। ज्यादातर प्रशासक राजनीतिक रहे हैं। राजीव शुक्ला हों या अनुराग ठाकुर। सभी राजनीति से ही जुड़े रहे हैं। मौजूदा सचिव जय शाह खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं। ऐसे में BCCI के कई फैसले सियासत से जुड़े होते हैं। रोजर बिन्नी के अध्यक्ष बनाए जाने के मामले को भी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है।  लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के चलते बिन्नी या किसी पूर्व क्रिकेटर को ही अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस वजह से कोई राजनीतिक हस्ती इस पद पर नहीं बैठ सकती थी। इसलिए किसी ऐसे चेहरे की तलाश थी तो सुलझा हुआ और बेदाग हो। इसके साथ ही बिन्नी 67 साल के हो चुके हैं। जब तक उनका पहला कार्यकाल पूरा हो तब तक वह 70 के हो जाएंगे। ऐसे में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक उन्हें दूसरा कार्यकाल देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यानी, जो विवाद सौरव को दूसरा कार्यकाल नहीं देने पर हुआ वैसा कोई विवाद BCCI को बिन्नी के मामले में नहीं झेलना पड़ेगा।

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