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रजित कपूर युवा गाधी के लिए पुरस्कृत हुए। गांधी न तो बौद्धिक थे, न राजनेता और न ही समाज सुधारक या धार्मिक लेकिन करोड़ों लोगों के पूज्य बने, उद्धारक बने, फ़िल्म यह सब पुरजोर ढ़ंग से प्रदर्शित करती है। फ़िल्म की शुरुआत में कम्प्यूटर में जिन्ना से संबंधित सारा डाटा उड़ जाने पर जमील देहलवी और अकबर अहमद ने इतिहास फ़िर से अपने ढ़ंग से लिखने का प्रयास कर, फ़िल्म ‘जिन्ना’ बनाई। 1998 की इस फ़िल्म में गांधी जी (सैम दस्तूर) हैं, पर फ़िल्म गांधी, नेहरू को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत नहीं करती है। यहाँ हीरो हैं कायद-ए-आज़म जिन्ना (सर क्रिस्टोफ़र ली)।

नाटकीय फ़िल्म के कथावाचक शशि कपूर हैं। जिन्ना स्वयं गैर धर्म की लड़की से शादी करते हैं, पर बेटी का गैर मुस्लिम लड़के से विवाह पसंद नहीं करते हैं, अत: बेटी बंबई में ही रह जाती है। जिन्ना पाकिस्तान रचने में व्यस्त हैं। निर्देशक जब्बर पटेल ने 2000 में ‘डॉ. बाबा साहब आंबेडकर’ फिल्म बनाई। आंबेडकर (मोहन गोखले) को केंद्र में रखती फ़िल्म में गांधी जी प्रमुखता से नहीं आते हैं। 2000 में ही कमल हासन ने ‘हे राम’ काल्पनिक राजनैतिक फ़िल्म तमिल-हिन्दी में बनाई। कई पुरस्कार प्राप्त, इलईराजा के संगीत की फ़िल्म ‘हे राम’ में गांधी (नसीरुद्दीन शाह) तथा उनकी हत्या नए अंदाज में पेश हैं। विवादाग्रस्त फ़िल्म में शाहरुख खान, अतुल कुलकर्णी, ओम पुरी, सौरभ शुक्ला, विक्रम गोखले, रानी मुखर्जी, हेमा मालिनी, गिरीश कर्नाड, श्रुति हासन, फ़रीदा जलाल, मनोज पहवा, अरुण बाली, तुषार गांधी (गांधी के परपोते) ने भी अभिनय किया है। शाहरुख खान तथा कमल हासन के अभिनय को सराहा गया।

2010 में अमित राय ने ‘रोड टू संगम’ फिल्म एक मुस्लिम मैकेनिक की जिंदगी पर बनाई, मैकेनिक को एक पुरानी कार मरम्मत के लिए दी गई, उसे ये नहीं पता था कि इसी गाड़ी में महात्मा गांधी की अस्थियों को त्रिवेणी संगम ले जाकर प्रवाह किया गया था। इसी समय एक संगठन के लोग आकर उत्पात करते है। 
श्याम बेनेगल ने जवाहरलाल नेहरू की किताब ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ पर ‘भारत एक खोज’ दूरदर्शन के लिए सीरियल बनाया। ओम पुरी की दमदार आवाज वाले इस विशिष्ट सीरियल को देखने लोग सब काम-धाम छोड़ कर टीवी के सामने बैठ जाते थे। सीरियल के 49 पार्ट 1-2 एपीसोड (और आगे के दो-तीन एपीसोड में भी) में गांधी और उनके जीवन दर्शन को प्रदर्शित किया गया है। उनका प्रिय भजन ‘रघुपति राघव…’, ‘वैष्णव जन तो…’, उनकी जयजयकार, अछूतोद्धार, चरखा, अहिंसा, सत्य, उपवास, असहयोग आंदोलन, नमक आंदोलन, स्त्री सशक्तिकरण, ‘करो या मरो’ भी यहाँ स्थान पाते हैं।

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