नदी में अधिक पानी बहने से बच्चे महीनों स्कूल नहीं जा पाते। ऐसे में पालक और शिक्षक बच्चों को नदी पार कराते हैं। इस छोटी नदी पर पुलिया निर्माण की मांग अंचलवासी वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन के साथ ही जनप्रतिधि भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पांडुका। अंचल के ग्रामीण आजादी के दशकों बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे है। बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर पैदल 4 किलोमीटर दूर स्कूल पढऩे जाते हैं। गरियाबंद को जिला बने लगभग 10 साल हो गया पर आमजनता के लिए सुविधाएं आज भी धरातल पर नहीं दिख रहा है। जिला मुख्यालय गरियाबंद के राज्य मार्ग 130 पर स्थित ग्राम पंचायत बरुका के आश्रित ग्राम राचरडेरा, राउतडेरा और विजय नगर के बच्चों और ग्रामीणों को आए दिन मुसीबतों से दो चार होना पड़ता है। रोज घुटनेभर पानी पार कर बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। नदी में अधिक पानी बहने से बच्चे महीनों स्कूल नहीं जा पाते। ऐसे में पालक और शिक्षक बच्चों को नदी पार कराते हैं। इस छोटी नदी पर पुलिया निर्माण की मांग अंचलवासी वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन के साथ ही जनप्रतिधि भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यह मार्ग वन विभाग के तहत होने के कारण अड़चनें सामने आ रही हैं। इस मुद्दे को लेकर
वनमंडल आधिकारी गरियाबंद मयंक अग्रवाल से चर्चा की तो उन्होंने पुलिया निर्माण के लिए आगामी बजट रखने रखने का आश्वासन दिया। साथ ही स्टीमेट बनाकर पुलिया बनाने की बात कही। इससे ग्रामीणों ने हर्ष व्याप्त किया।
लगभग 15 बच्चे प्राथमिक और माध्यमिक शाला में पढऩे राउतडेरा गांव जाते हैं। बच्चों ने बताया कि वे पैदल पढऩे जाते है। इससे हमें तकलीफ नहीं है। हमारी परेशानी का कारण नदी पर पुल नहीं होना है। पुल बनने से पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा। साथ ही सडक़ व पुल बनने से गरियाबंद आने-जाने में सुविधा मिलेगी। विजयनगर, कुम्हारमरा, अतरमरा, तौरेंगा, दिवना, साकरा, रवेली, मुरमुरा, धुरसा जैसे दर्जनों गांवों के लिए यह सुगम मार्ग बन सकता है।