Fri. Mar 29th, 2024

दुर्ग संभाग से 67 किलोमीटर और राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां साल भर भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि में यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। नवरात्रि के पहले दिन सोमवार को मां के दरबार में माथा टेकने के लिए देर रात से भक्तों का जत्था पहुंचना शुरू हो गया है।

नवरात्रि में नव दिन तक डोंगरगढ़ में हर दिन लाखों भक्त मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। दूसरे राज्यों तक से भक्त बड़ी संख्या में यहां आते हैं। इसी कारण डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन में हर एक्सप्रेस व लोकल ट्रेन का स्टॉपेज है। इतना ही नहीं कई बार तो यहां स्पेशल ट्रेन तक चलाई जाती है। लोगों की आस्था और उनकी सुरक्षा को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन भी काफी गंभीर रहता है। सुरक्षा में किसी तरह की चूक हो इसके लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस व सीसीटीवी कैमरों की नजर रहती है। हर एक भक्त को माता के दरबार पहुंचने से पहले एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। स्कैनर से स्कैन करने के साथ उसकी पूरी तलाशी ली जाती है। इसके बाद ही भक्त मंदिर प्रांगण में घुस पाता है।

इतिहास की बात करें तो मां बम्लेश्वरी का मंदिर दो हजार साल पुराना है। यह 1600 फीट ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 1000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। बुजुर्ग लोग भी मां के दर्शन कर सकें इसके लिए यहां रोपवे बनाया गया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य का एक मात्र रोपवे है।डोंगरगढ़ में 1600 फिट ऊंचाई पर स्थित बम्लेश्वरी माता के मंदिर के अलावा नीचे समतल भाग में भी एक मंदिर है। पहाड़ के मंदिर को बड़ी बम्लेश्वरी का मंदिर और नीचे समतल जमीन पर स्थित मंदिर को छोटी बम्लेश्वरी के नाम से जाना जात है। ऐसी मान्यता कि दर्शन का पूरा फल तभी मिलता है जब दोनों माता के दर्शन पूरे होते हैं। इसके साथ ही यहां प्राचीन बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला और दादी मां जैसे और भी मंदिर स्थित हैं।

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