गोवा मे कांग्रेस के 11 मे से आठ विधायक भाजपा खेमे मे आ गए हैं। पटकथा लगभग महाराष्ट्र जैसी है। कांग्रेस के पूर्व सीएम जिन्होने पार्टी न छोडने की सार्वजनिक कसम खाई थी, अब भाजपा में शामिल होकर कह रहे हैं, ईश्वर का आदेश मिला था। कोई पलटकर उनसे पूछे कि क्या आजकल ईश्वर भी दीनदयाल का रोल छोड़ राजनीति मे दिलचस्पी रखने लगा है? बहरहाल कांग्रेस का यह आरोप कि भाजपा आँपरेशन लोटस चलाकर अनैतिक रुप से पाटियों को तोड़ रही है। कुछ ऐसा ही है कि अपना घर न संभले तो पड़ोसी को दोष दो। आखिर क्यों दो तिहाई विधायक पार्टी छोड़ते है? असम के एक कद्वावर नेता ने यह आरोप लगाकार पार्टी छोड़ी कि वह राज्य की समस्या बताने दिल्ली गए तो नेतृत्व ने ध्या नही नही दिया। सबसे पहले अपनी पहचान मजबूत विचारधारा के साथ बनानी होगी। और उस विचारधारा को लेकर पूरी समाज को अपनी ओर खींचना होगा। शक्तिशाली और प्रतिबद्ध कैड़र संरचना बनाना ही इस तरह की टूट को रोक सकता है।