गोरखपुर शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वांचल का हब बनने की ओर अग्रसर है। इस दिशा में तेजी से काम हुए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आईआईटी, एजुकेशन इकोनॉमिक जोन, संसाधन बढ़ाने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है। खेल को शिक्षा से जोड़ने और लर्न टू अर्न पर फोकस करना भी जरूरी है। शिक्षा को रोजगार से जोड़कर ही गोरखपुर को पूर्वांचल का एजुकेशन हब बनाया जा सकता है। बुधवार को अमर उजाला की ओर से आयोजित पूर्वोदय : राइजिंग गोरखपुर के संवाद कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में संभावनाएं, चुनौतियां और समाधान विषय पर शहर के शिक्षाविदों ने विचार-विमर्श किया हमें अपने संसाधनों को विकसित करना होगा। जब तक खेल और शिक्षा साथ नहीं जुड़ेंगे विकास नहीं हो पाएगा। गोरखपुर में हर विधा की पढ़ाई हो रही है। कच्चा माल हमारे पास है, मगर नौकरी के लिए हरियाणा और दिल्ली जाना पड़ रहा है। पढ़ाई के साथ रोजगार की दिशा में सोचने की जरूरत है। मेडिकल उपकरण तैयार करने की दिशा में असीम संभावनाएं हैं। हमें लर्न टू अर्न पर फोकस करना होगा। उक्त बातें क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रो. अश्वनी कुमार मिश्रा ने अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में बुधवार को कहीं। उन्होंने कहा कि एम्स, मेडिकल कॉलेज, आयुष विश्वविद्यालय से चिकित्सा शिक्षा मजबूत हुई है। गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखनाथ विश्वविद्यालय एवं आयुष विश्वविद्यालय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा को उत्कृष्ट आयाम देने में जुटे हैं। मगर गोरखपुर को एजुकेशन का हब बनाने के लिए शिक्षा को रोजगार से जोड़ना होगा। जिला विद्यालय निरीक्षक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया ने कहा कि जिले में तीन केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। सैनिक स्कूल, 2500 परिषदीय, 485 माध्यमिक विद्यालय, सीबीएसई और आईसीएसई के 150 स्कूल शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का कार्य केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि सर्वांगीण विकास पर आधारित है। जब से बच्चा पैदा होता है, उसकी शिक्षा प्रारंभ हो जाती है। पहले शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं हुआ था। शिक्षा पूरी तरह शिक्षकों पर आधारित थी। अब इसका स्वरूप बदलकर छात्र आधारित हो गया है।