धान की परंपरागत खेती से अब किसानों का मोह भंग हो गया है। अब वे खरीफ रबी दोनो सीजन मे मांग और उत्पादन लागत को ध्यान मे रखकर फसलो का चुनाव कर रहे है। यही वजह है कि किसान नगदी फसल के रुप मे सब्जी और फलो की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे है।
15 वर्षो मे 4004-2005 मे जिले मे 2888 हेक्टेयर मे फसलो की खेती किसान करते थे। लगभग 20,207 मीट्रिक टन फलो का उत्पादन होता था। यह आकंड़ा बढ़कर अब रकबा 6319 हेक्टेयर और उत्पादन 130151 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। इसी तरह सब्जियोे की बात करे तो पहले यहां 22 हजार 198 हे , मे ही खेती होती थी 41909 हे, मे 8 लाख मीट्रिक टन सब्जिया उगाई जा रही है। किसानो का कहना है केला और पपीता मे लागत कम मुनाफा अधिक है।