गुजरात में कांग्रेस की कोने-कोने तक पहुंच अभी भी बरकरार है, और आम आदमी पार्टी का कैडर निचले स्तर तक नहीं पहुंच सका है, यदि कांग्रेस इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने में सफल रहती है तो वह आम आदमी पार्टी की तरफ से होने वाले नुकसान को संभाल सकती है. एक महीने पहले तक गुजरात विधानसभा चुनाव की लड़ाई को लगभग एकतरफा माना जा रहा था। चर्चा थी कि ‘मोदी मैजिक’ पर सवार भाजपा इस बार गुजरात में न केवल बड़ी जीत हासिल करेगी, बल्कि वह कांग्रेस नेता माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 1985 में हासिल किए गए 149 सीटों के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकती है। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, राज्य की परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। अरविंद केजरीवाल ने भाजपा की राह में रोड़े अटकाने शुरू कर दिये हैं, तो पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बांधकर रखने में सफल रहे राहुल गांधी पांच सितंबर को अहमदाबाद पहुंचे। उन्होंने बड़े चुनावी वायदे कर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को साधते हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश की। बड़ा प्रश्न है कि राहुल गांधी मोदी मैजिक पर सवार भाजपा को प्रधानमंत्री के होम टर्फ पर कितनी मजबूत चुनौती दे पाएंगे? वे अरविंद केजरीवाल की प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरने की दावेदारी को कितना कमजोर कर पाएंगे?अहमदाबाद के साबरमती नदी के रिवरफ्रंट पर कांग्रेस के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने चुनाव जीतने पर किसानों का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने, 10 लाख नौकरियां देने और 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया। उन्होंने 3000 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने और लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने का वादा किया। माना जा रहा है कि यह घोषणा कर वे राज्य में आम आदमी पार्टी की बढ़ती चुनौती को कमजोर करना चाहते हैं।