वैश्विक अर्थव्यवस्था व व्यवस्था तेजी से परिवर्तन रुस -यूक्रेन संघर्ष के बाद हुए है। इ क्रम मे जहाँ रुस और चीन स्पष्टतः अमेरिका के एकध्रुवीय प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हंै, वही भारत गट निरपेक्षता की नीति को अपनाते हुए रुस, चीन और अमेरिका से सामजस्य स्थापित किये हुए है। अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो ने अपनी नई रणनीतिक अवधारणा मे दोनो देशो को दुश्मन के रुप मे चित्रित किया है। हालाकि, वर्तमान विश्व व्यवस्था मे ,केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के पास ही अपने नियम बनाने और लागू करने की क्षमता है। इन दाक महाशक्तियो की तुलना मे अन्य देश केवल उदारवादी या सामान्य शक्ति है। इस वैश्विक संक्रमणकारी वास्तविकता पर विचार करते हुए ,कुछ अंतराष्टीªय विश्रेषको का कहना है । कि विश्व व्यवस्था संक्रमण मे है। विश्रेषका की मानो तो, सयुक्त राज्य अमेरिका का एक पक्षीय प्रभुत्व को चीन चुनौती दे रहा हैं, जबकि भारत अपनी गुटनिरपेक्षता पर मजबूती से डटा हुआ है। भारत शांतिप्रियता को पहले से अपनाते हुए, अंतर्राष्ट्री स्तर पर पहले से अत्यधिक सशक्ता हुआ हैं।इन दिनांे विश्व के देश बहुधु्रवीय शक्तियो की नजर गड़ाये हुए हैं। वर्तमान परिवेश मे बदलते वैश्विक बाजार, अर्थव्यवस्था के दृष्टिगत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन को महाशक्ति की स्थिति मे देख रहे हैं। रुस -युक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका सैन्य गंठबंधन नाटो और रूस के सहयोगी चीन के बीच भयंकर आर्थिक प्रतिस्पर्घा प्रांरभ हैं। ऐसे मे अमेरिका और रूस चीन का दो घु्रवीय समीकरण बनता जा रहा हैं। भारत की गुटनिरपेक्ष नीति हा्रस्वमेव मृगेन्द्रताह्र जैसी हैं। वैश्विक अर्थ