किसी भी कार्यक्षेत्र में सफलता का आधार एकाग्रता है। चाहे शोध व्यवसाय, सेवा या फिर कृषि कार्य। पढ़ाई में अच्छे अंको से पास होने का आधार भी एकाग्रता है। उपरोक्त एकाग्रता भौतिक एकाग्रता है। जितना समय हम कार्य करते हैं, उतना समय ही मन एकाग्र रहता है। कार्य समाप्ति पर मन भटकने लगता है। एकाग्रता को बढ़ाने की सबसे सरल विधि है। परमात्मा के स्वरुप पर मन को एकाग्र करना इसको कहते है। पराभौतिक एकाग्रता। इसी अभ्यास से हमारा चंचल अशांत मन एकाग्र हो जाएगा।
गुप्त व सुषुप्त अवस्था में होती है एकाग्रमा की शक्ति
एकाग्रता की शक्ति हर मानव में गुप्त व सुषुप्त अवस्था में होती है। जो इसको अनुभव कर लेता हैं। वह महान उपलब्धियो को प्राप्त कर लेता हैं। एकाग्रता का अर्थ है। एक निच्श्रित और शक्तिशाली संकल्प में स्थित होना,। मन पर बुद्धि का संपर्ण नियन्त्रण अर्थात हमम न को जहां जिस विषय पर जितना समय लगाना चाहे उतना समय मन उसी विषय पर लगा रहे है।