Wed. Mar 12th, 2025

हम सब जानते है, कि हमारा जीवन कर्म प्रधान है। कर्म करने के लिए हम बाध्य हैं। कर्म का अर्थ केवल शारीरिक रुप से कोई काम करना नही लेकिन हम हर क्षण कर्म करने के लिए प्रवृत्त है। यदि? किसी समय हम बैठकर कुछ सोच भी रहे है। या कोई बात भी बोल रहे हैं तो वह भी कर्म करने की श्रेणी में आएगा। कर्म को हम ऊर्जा का आदान प्रदान कह सकते है। जब हम किसी के लिए कुछ सोचते है। तो हम अपने संकल्पो द्वारा सामने वाले को एक को ऊर्जा भेज रहे है। सामने वाला उस उर्जा सो ग्रहण भी करता है। जब हम किसी से कुछ बात करते है। तो उसमें भी हम अपने शब्दो द्वारा एक ऊर्जा का संचार ही करते है। और शारीरिक कर्म के चरण में भी यही होता है। आज हम उस ऊर्जा की चर्चा करेंगे जो हमारे वाणी द्वारा संचार होती है।

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