इस संसार में समय समय पर अनेक क्रान्तियाँ होती आई है। क्रान्ति के पीछे लक्ष्य यही होता है। कि इससे व्यापक पद बदलाव आयेगा और पीड़ित मानवता को शान्ति मिलेगी। परन्तु सभी क्रान्तियो के परिणाम स्पष्ट रुप से देख लेने के बाद हम लक्ष्य से भिन्न निष्कर्ष पर ही पहुँचे है। उदाहरण के लिए मजदूरों के हितों को लेकर रुप में जो प्रसिद्ध लाल क्रान्ति हुई थी जिसके फलस्वरुप साम्यवादी सरकारे स्थापित हुई थी और जिसने पूँजीपतियो और मजदूरो के बीच भेद भाव की खाई को पाटने का लक्ष्य लिया था बीख् उसका रिणाम आखिल क्या निकला? पहले विश्व दो गुटों में बँटा। इस बंटवारे ने संसार को हथियारों की हांड़ दी। और समय समय पर विश्व को युद्धों की आग में भी झोका। साम्यवाद के जनक देश रुस में भी सारी अराजकता फैली और उसका विभाजन हो गया। परन्त वादों को लेकर संघर्ष अभी भी जारी है। इसी प्रकार यूरोप में औधोगिक क्रान्ति हुई और नये नये कल कारखाने स्थापित होने लगे। नये नये कल कारखाने स्थापित होने नये नये आविष्कार तीव्रगति से हुए और बटन दबाने भर की देरी में मानव को सब प्रकार की सुविधायें उपलब्ध होने लगीं। परन्तु इसका भी परिणाम आखिर क्या निकला? मानव मशीन बन गया।