लोग कहते है। कि भगवान सबका भाग्य लिखते हैं परन्तु यदि ऐसा होता तो परमात्मा सब का भाग्य बहुत ही अच्छा लिखते और इस दुनिया में किसी को कोई दुख होता ही नही सत्य यह है। कि भगवान ने हर किसी को कर्म रुपी एक एसी कलम दी है। जिसके जरिया वह अपना भाग्य जैसे चाहे वैसे लिख सकते है। मानाव स्वयं ही अच्छे और बुरे कर्म करके अपनें भाग्य का निर्माण करते है। वह किसी भी को दोषी नही ठहरा सकते। यही कर्म और भाग्य का वास्तविक स्वरुप है।