पटना: महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों के भौगोलिक संकेत पंजीकरण से सम्बंधित कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने समीक्षात्मक बैठक किया। उपर्युक्त बैठक बिहार राज्य में जी.आई उत्पादों से सम्बंधित भौगोलिक संकेत पंजीकरण की प्रगति के सम्बंध में दिनांक 18 जुलाई 2024 को कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में अनुसन्धान निर्देशक के सभाकक्षा में की गयी। कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय, डॉ डी. आर. सिंह ने कहा कि बिहार को भौगोलिक संकेत पंजीकरण में चौथे स्थान पर लिया जाना हैI कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय एवं निदेशक अनुसन्धान ने विभिन्न उत्पादों के जी.आई. पंजीकरण की प्रक्रिया के सम्बंध में गहन चर्चा की गयी। बिहार कृषि विश्वविद्यायलय के वैज्ञानिको ने उपर्युक्त बैठक में कुल 45 प्रस्तुति की गयी। बैठक में डॉ. ए. के सिंह, निदेशक अनुसन्धान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विशेषकर तीन बिन्दुओं पर बल दिया गया। जैसे पंजीकरण की दिशा में किए गये कार्य, कृषक समूहों के संगठन, दस्तावेजो के संग्रहण के सम्बंध में किए गए कार्य।
समीक्षोपरांत यह निष्कर्ष निकला गया कि शीघ्र ही कुछ उत्पादों (लिट्टी चोखा, सोनाचुर चावल, गुलशन टमाटर, सिंघाड़ा, दीघा मालदा) की जी.आई. पंजीकरण की सफलता प्राप्त होगी। निदेशक अनुसन्धान ने वैज्ञानिको को यह भी आश्वाशन दिया कि भौगोलिक संकेत पंजीकरण में तेजी के लिए कोई कोर कसार नहीं छोड़ा जाएगा। 54 उत्पादों के अतिरिक्त बिहार के अन्य कृषि उत्पादों को भौगोलिक संकेत पंजीकरण की सूची में शामिल करने की प्रकिया अनवरत जारी है। अंत में डॉ.शैलबाला देई, उप निदेशक अनुसन्धान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने धन्यवाद् ज्ञापन किया।