जैसे शरीर को हष्ट पुष्ट रखने के लिए सात्त्विक स्थूल आहार की आवश्यकता है वैसे ही आत्मा को स्वस्थ रखने के लिये सात्विक सूक्ष्म आहार के आवश्यकता है। आज अधिकांश नर नारी शारीरिक आहार की शुद्धता और पौष्टिकता पर तो ध्यान रखने है। लेकिन आत्मिक आहार की कोई चिन्ता नही करते। उन्हे पता ही नही कि आत्मा का आहार क्या है। कौन सा आहार सात्विक है तथा कौन सा तामसिक? अज्ञानता के कारण आज प्रायः सर्व आत्माये तामसिक आहार ग्रहण करते जा रहे है। इसका घातक परिणाम हमारे समक्ष दिनोंदिन बढ़ते हिंसा अराजकता छल कपट पाप भ्रष्टाचार तथा दुःख अशान्ति के रुप में विद्यमान है।