सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरिय विश्वविद्यालय सिमराही राघोपुर के तत्वधान में विश्व शांति, सदभावना एवं भाईचारा विषय पर राघोपुर वार्ड नंबर 17, मारवाड़ी टोला के निवासी प्रमोद महासेठ और प्रदीप महासेठ के निवास स्थान पर भव्य स्नेह मिलन समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साथ मेशिव और शंकर के चैतन्य झांकियां द्वारा संपूर्ण नगर में परिक्रमा कर परमात्म अवतरण का संदेश जन जन में दिया। यह सार्वजनिक कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के 56 वे पुण्य तिथि के अवसर पर उनके द्वारा वैश्विक शांति, अमन और एकता हेतु की गई त्याग, तप और सेवाओं की स्मृति में आयोजित किया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के राजविराज क्षेत्र के क्षेत्रिय प्रभारी ब्रह्माकुमारी भगवती दीदी,सिमराही राघोपुर सेवा केंद्र प्रभारी बबीता दीदी, प्रखंड अध्यक्ष डॉ कमल प्रसाद यादव, वार्ड पार्षद सागर कुमार, संदीप अग्रवाल, मोहरिल तपेश्वर यादव,डॉ पी के रंजन जी,वीरेंद्र प्रसाद साह, प्रदीप महासेठ, रागिनी देवी, बंदना देवी समाजसेवी भूपेन्द्र यादव,लल्लू मढ़ोगरिया, गोपाल चांद, अर्जुन जैन,ब्रह्माकुमारी नीतू दीदी, मीरा दीदी, ब्रह्माकुमारी अर्चना बिना बहन,रूपा बहन, बिना बहन,मंजू देबी,रागिनी देवी ,ब्रह्माकुमार शशिरंजन भाई,किशोर भाईजी इत्यादि ओने संगठित रूप में फूलमाला द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करके और दीपप्रज्वलन करके कार्यक्रम को शुभारंभ किया।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के राजविराज क्षेत्र के क्षेत्रिय प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी भगवती दीदी जी ने अपने उदबोधन देते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा पिताश्री का दैहिक जन्म हैदराबाद सिंध में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका शारीरिक नाम दादा लेखराज था ।उनके अलौकिक पिता निकट के गांव में एक स्कूल के मुख्य प्रध्यापक थे ।दादा लेखराज अपनी विशेष बौद्धिक प्रतिभा, व्यापारिक कुशलता, व्यवसायिक शिष्टता, अथक परिश्रम, श्रेष्ठ स्वभाव एवं जवाहरात की अचूक परख के बल पर सफल प्रसिद्ध जवाहरी बने। उनका मुख्य विशेषता व्यापार में पकके थे।बिपुल धन, संपत्ति औऱ मान प्रतिष्ठा पाकर भी उनके स्वभाव में नम्रता, मधुरता औऱ परोपकार के भावना बानी रहीं। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में, किसी भी प्रलोभन के बस अपनी भक्ति ,भावना और धार्मिक नियमों को नहीं छोड़ा। वे प्रभावशाली व्यक्तित्व और मधुर स्वभाव ,राजकुलोचित व्यवहार, शिष्ठ मधुर स्वभाव और उज्जवल चरित्र के कारण उनका उच्च प्रतिष्ठा थी, दादा लेखराज स्वभाव से ही उदारचित्त और दानी रहे।
मुख्य अतिथि प्रखंड अध्यक्ष सह वरिष्ठ समाजसेवी डॉ कमल प्रसाद यादव जी ने कहा लोग शरीर पर तो ध्यान देते हैं। लेकिन इस शरीर को चलाने वाली आत्मा को बलिष्ठ और विकसित करने पर ध्यान नहीं देते। आत्मा को शक्तिशाली करने का उपाय राजयोग ,ध्यान का अभ्यास ही है ।उन्होंने कहा कि लोगों को आज शांति की बहुत जरूरी है।ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सभी केंद्र शांति के स्तंभ है। जहां राजयोंग द्वारा परमात्मा के याद से शांति प्राप्त की जा सकती है।
उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। और समाज के सैकड़ों श्रद्धालुयो ने लाभ लिया।
अन्त में स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन करते अपने उदबोधन देते हुए कहा सभी दुखों एवं समस्याओं का मूल देह अभिमान हैं।देह अभिमान के कारण ही काम, क्रोध, लोभ ,मोह ,अहंकार,ईर्ष्या, नफ़रत, आलस्य इत्यादि मनोविकार वश हो गया है। अतः इन पर विजय पाना जरूरी है। इसके लिए नित्य दिन राजयोग का अभ्यास करना जरूरी है। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि मन ,बुद्धि से परमात्मा को याद करना, उनके गुणों को गुणगान करना, अपने आचरण को श्रेष्ठ बनाना ,कर्मयोगी बनना ही राजयोग है। अंत में सभी को ब्रह्मा भोजन एवं प्रसाद वितरण करके कार्यक्रम संपन्न किया।