Wed. Jul 2nd, 2025

 

बीएयू में कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवर्तक विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन प्रारम्भ

 

APNI BAT

पटना: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में धरातल पर नवाचार और नवप्रवर्तक” विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन का शुभारम्भ रविवार 04 अगस्त 2024 को हुआ। विश्वविद्यालय के 15 वें स्थापना दिवस की पूर्व दिवस से प्रारम्भ हुआ, राष्ट्रीय सम्मलेन स्थापना दिवस 05 अगस्त तक चलेगा। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, गुजरात के सहयोग से आयोजित सम्मलेन में राज्य भर से नवाचारी किसान भाग ले रहे हैं। सम्मलेन का उद्देश्य कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करना है। रविवार को सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में अतिथियों को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। अतिथियों में डॉ अरविन्द सी. रानाडे, निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, डॉ वी. वी. सदामते योजना आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार और मुख्य समन्वयक कृषि एक्सटेंशन प्लेटफार्म एसए (टीएएएस), डॉ. यू.के. दुबे, उप रजिस्ट्रार, पीपीवी एवं एफआरए, नई दिल्ली के अलावा कौशल्या फौन्डेशन से कौशलेन्द्र कुमार और सम्मानित किसान उपस्थित रहे। सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी.आर. सिंह,  कुलपति, बीएयू, सबौर ने की। अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. आर.के. सोहने, संयोजक और प्रसार शासक शिक्षा निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. सिंह, अनुसंधान निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर; और डॉ. ए.के. ठाकुर, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना शामिल हुए। कुलपति डॉ डी. आर. सिंह ने आज के दौर में कृषि क्षेत्र में नवाचार की नितांत आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नित्य नए पेटेंट हासिल कर रहे हैं लेकिन अब हमारे वैज्ञानिक किसानों द्वारा विकसित तकनीक को परिष्कृत करके पेटेंट दर्ज कराएँगे और पेटेंट के उपरांत प्राप्त रायल्टी को किसानों से साझा करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री पर ध्यान आकर्षित करवाया, जिसे केंद्र सरकार से 3-स्टार रेटिंग मिली है। उन्होने अपने उद्बोधन में 54 राज्य उत्पादों के भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणीकरण के लिए चल रहे कार्य पर जोर दिया। अतः सिर्फ मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा की ओर भागने से बेहतर है कि कृषि को अपनाएं सम्मलेन मेँ शामिल हुए ये सभी राष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित नावाचारी किसान- सत्यदेव सिंह, दिलीप कुमार, बन्दना कुमारी, मधु देवी, अभिषेक कुमार, वीणा देवी, विनीता कुमारी, स्वागत भाषण में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर. के. सोहाने ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रसार के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों और कृषि में नवाचार को बढ़ावा देने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अब तक के प्रयासों से अवगत कराया। डॉ. सोहाने ने ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फूलों की खेती, औषधीय पौधों की खेती और वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन सहित विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित विभिन्न मूल्य वर्धित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया ।निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ अरविन्द सी. रानाडे ने कृषि में नवाचार के अवसरों पर प्रकाश डाला और किसानों को अपने नवाचार को लेकर आगे आने का सुझाव दिया, उन्होंने कहा कि कृषि में नवाचार की अपर संभावनाएं हैं। किसान हितों के प्रति समर्पण के लिए बीएयू, सबौर की सराहना की। आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार डॉ वी. वी. सदामते ने किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी के अभाव की समस्या की ओर इंगित किया और कहा कि नवाचार को बढ़ावा देना हो तो सरकार की योजनायें इसमें सहायक साबित हो सकती है। डॉ सदामते ने नवाचार करने के लिए सामुदायिक भागीदारी बढाने का सुझाव भी दिया साथ ही युवाओं को कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया।विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्रियाकलापों की रूपरेखा प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय ने 41 नई फसल किस्मों और 14 नए पेटेंट जारी किए हैं, जो कृषि अनुसंधान के लिए नई दिशाएं प्रदान करते हैं। डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि) ने उपस्थित लोगों को ई-लाइब्रेरी और एआरआईएस सेल जैसी सुविधाओं के परिचालन के साथ-साथ स्नातक अध्ययन के लिए आठ और स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए चौदह स्मार्ट कक्षाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी।उद्घाटन सत्र के उपरांत चार तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें नवाचारी किसानों ने अपने अनुभव साझा किया साथ ही वैज्ञानिकों ने अपनी प्रस्तुतीकरण दी। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आर.एन. सिंह, सह निदेशक, प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर ने दिया। डॉ. सिंह ने राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसानों और सभी गणमान्य व्यक्तियों व इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियोंकरमचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। राष्ट्रीय सम्मलेन

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवरतक” विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन का शुभारम्भ दिनांक 04.08.2024 को हुआ। विश्वविद्यालय के 15 वीं स्थापना दिवस के पूर्व दिवस से शुरू हुआ यह राष्ट्रीय सम्मलेन स्थापना दिवस 05 अगस्त तक चलेगा। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, गुजरात के सहयोग से आयोजित इस सम्मलेन में राज्य भर से नवाचारी किसान हिस्सा ले रहे हैं। सम्मलेन का उद्देश्य कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करना है। सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में अतिथियों को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। अतिथियों में डॉ अरविन्द सी. रानाडे, निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, डॉ वी. वी. सदामते योजना आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार और मुख्य समन्वयक कृषि एक्सटेंशन प्लेटफार्म एसए(टीएएएस), डॉ. यू.के. दुबे, उप रजिस्ट्रार, पीपीवी एवं एफआरए, नई दिल्ली के अलावा कौशल्या फौन्डेशन से श्री कौशलेन्द्र कुमार और सम्मानित किसान उपस्थित रहे। सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी.आर. सिंह,  कुलपति, बीएयू, सबौर ने की, अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. आर.के. सोहने, संयोजक और प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. सिंह, अनुसंधान निदेशक, बीएयू, सबौर; डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर; और डॉ. ए.के. ठाकुर, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना शामिल हुए। कुलपति डॉ डी. आर. सिंह ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कृषि क्षेत्र में नवाचार की नितांत आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नित्य नए पेटेंट हासिल कर रहे हैं लेकिन अब हमारे वैज्ञानिक किसानों द्वारा विकसित तकनीक को परिष्कृत करके पेटेंट दर्ज कराएँगे और पेटेंट के उपरांत प्राप्त रायल्टी को किसानों से साझा करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री पर ध्यान आकर्षित करवाया, जिसे केंद्र सरकार से 3-स्टार रेटिंग मिली है। उन्होने अपने उद्बोधन में 54 राज्य उत्पादों के भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणीकरण के लिए चल रहे कार्य पर जोर दिया। अतः सिर्फ मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा की ओर भागने से बेहतर है कि कृषि को अपनाएं।


निदेशक राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ अरविन्द सी. रानाडे ने कृषि में नवाचार के अवसरों पर प्रकाश डाला और किसानों को अपने नवाचार को लेकर आगे आने का सुझाव दिया, उन्होंने कहा कि कृषि में नवाचार की अपर संभावनाएं हैं | किसान हितों के प्रति समर्पण के लिए बीएयू, सबौर की सराहना की। आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार डॉ वी. वी. सदामते ने किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी के अभाव की समस्या की ओर इंगित किया और कहा कि नवाचार को बढ़ावा देना हो तो सरकार की योजनायें इसमें सहायक साबित हो सकती है | डॉ सदामते ने नवाचार करने के लिए सामुदायिक भागीदारी बढाने का सुझाव भी दिया साथ ही युवाओं को कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्रियाकलापों की रूपरेखा प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय ने 41 नई फसल किस्मों और 14 नए पेटेंट जारी किए हैं, जो कृषि अनुसंधान के लिए नई दिशाएं प्रदान करते हैं। डॉ. ए.के. साह, अधिष्ठाता (कृषि) ने उपस्थित लोगों को ई-लाइब्रेरी और एआरआईएस सेल जैसी सुविधाओं के परिचालन के साथ-साथ स्नातक अध्ययन के लिए आठ और स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए चौदह स्मार्ट कक्षाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी।
उद्घाटन सत्र के उपरांत चार तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें नवाचारी किसानों ने अनुभव साझा किया। वैज्ञानिकों ने अपनी विचार प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आर.एन. सिंह, सह निदेशक, प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर ने दिया। डॉ. सिंह ने राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसानों और सभी गणमान्य व्यक्तियों व इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी वैज्ञानिकों, कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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