अनमोल कुमार की रिपोर्ट
पटना : पटना में अधिकांश छोटी बड़ी गाड़ियों पर अक्सर ‘जय मां काली बखोरापुर वाली’ देखने को मिलता है। आइए ‘अपनी बात’ विशेष जानकारी दे रहा है। भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर में भव्य “मां काली मंदिर” है। अपनी भव्यता व विस्तृत क्षेत्रफल में फैलाव के कारण यह मंदिर भक्तों व पर्यटकों को भाने लगा है। वर्ष में एक बार भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के कारण भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गए “काली मंदिर ट्रस्ट” के सचिव सुनील सिंह गोपाल बताते हैं कि 1862 में बखोरापुर में भयंकर हैजा फैल गया, जिसमें लगभग 5 सौ लोग परलोक सिधार गये। उसी समय गांव में एक साधू का आगमन हुआ। उन्होंने मां काली के पिण्ड स्थापना करने की बात कही, साधू ने कहा कि ऐसा करने से यह बीमारी रुक जायेगी। बताया जाता है कि गांव के बड़े-बुजुर्गो ने परामर्श के बाद नीम के पेड़ के पीछे मां काली के नौ पिण्ड की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। चंद दिनों बाद साधु अचानक क्षेत्र में अदृश्य हो गये। इतना ही नहीं हैजा का प्रकोप भी गांव से धीरे-धीरे समाप्त हो गया। सुनील सिंह गोपाल के अनुसार एशिया में बखोरापुर मंदिर द्वितीय स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। यहां लगभग 105 फीट की भव्य मां काली की प्रतिमा निर्माणाधीन है। शारदीय नवरात्री के अवसर पर इस मंदिर की भव्य साज सज्जा की जाती है। विशेष पूजा अर्चना तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। बिहार समेत दूसरे प्रदेश से श्रद्धालु भक्तों के आने जाने का तांता लगा रहता है। दानापुर-मुगलसराय रेलखंड के आरा रेलवे स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर में स्थित है, मां काली का प्रसिद्ध मंदिर। यहां जाने के लिए रेलवे स्टेशन से तथा गांगी के पास से वाहन बराबर मिलते रहते हैं। काली स्थान बखोरापुर जाने का मार्ग सुगम व सरल है। मंदिर के आसपास पूजा सामग्रियों की दुकानें और ठहरने के लिए होटल समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। भक्तों के लिए सभी संभव सहायता व सहयोग मिलता है। पटना की तरफ से जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोईलवर के पास से एक सड़क भी बखोरापुर जाती जाती है।