सूरत जैसे प्रभु की मूरत
वाणी थी जगत की कल्याणी
शान्तिदूत बन आई धारा पर
नैनों में समाया नूर रुहानी
युगों युगों तक गूजेगी
दादी तेरी अमर कहानी
बाल्यकाल से सखा बनाया
इस सृष्टि के रचयिता को
तोडकर सारें लौकिक बंधन
अपनाया उस परमपिता को लुटा दिया सर्वस्व उसी पर
सौपं दिया सारा तन मन धन।