हमारे जीवन के प्रति 2 दृष्टिकोण हो सकता है। 1 संघर्ष का और 2 सहयोग का। हम लोग मान कर चलते है। कि जीवन में अगर कुछ पाना है। तो संघर्ष करना की पडेगा ऐसा सही भी हो सकता है। लेकिन हम लोग इस बात पर अधिक जोर दे कि जीवन सहयोग का नाम है। संघर्ष मे अशांति हैं और सहयोग में शांति हैं भगवान शंकर श्रीराम की स्तुति करते हुए कहते हैं कि महिपाल विलोकय दीन जनम् आप गुण शील और कृपा के परम स्थान है। आप लक्ष्मीपति है। मैं आपको निरंतर प्रणाम करता हूँ। और जिंदगी में दौलत तो आ जाती है। पर शांति चली जाती हैं ये भी एक गरीबी हैं। और जीवन को सहयोग की दृष्टि से देखिए।